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आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता

एक रंगीन व्यंग्यात्मक कैरिकेचर जिसमें एक नेता मंच पर आंख मिचमिचा रहा है, पीछे सूरत शहर की झलक है, और जनता ताली बजाने की बजाय सीटें घुमा रही है।


डा राम कुमार जोशी
बाड़मेर

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