एस अकबरी ने कहा है की तैरना नहीं आता तुम्हे और इल्जाम पानी पर लगाते हो. कविता के माध्यम से लेखक ने इस सांकेतिक भाषा में हमारी परिस्थितियों के लिए स्यंव को जिम्मेदार न मानकर परिस्थितियों को जिम्मेदार बताते है
‘तैरना नहीं आता’
परिस्तिथी समस्या बन जाती,
जब तक उनसे मुकावले
की घडी नहीं आती,
पानी में गिरने से भला,
मोत कोई नहीं पाता,
मौत आती है तो इसलिये,
कि उस पर तैरना नहीं आता।