यह कविता जीवन के संघर्ष, आत्मविश्वास और लक्ष्य साधना की प्रेरणा देती है। गिरने, थमने और लड़खड़ाने के बीच भी उठकर आगे बढ़ते रहने की…
विद्या पोखरियाल की यह कविता “पत्थर हूं मैं” जीवन की विसंगतियों को एक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। यह पत्थर कभी पूजित है,…
यह कविता स्त्री के संघर्ष, सहनशीलता और उसकी शक्तियों का गान है। माँ, बहन, पत्नी, प्रेमिका, देवी — हर भूमिका में वह समाज की नींव…
यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों…
कहा जाता है समय और परिस्थिति सदैव पक्ष में हो ज़रूरी नहीं!हमारा नज़रिया जैसा होता है व्यवहार भी उसी तरह का होने लगता है |…
एस अकबरी ने कहा है की तैरना नहीं आता तुम्हे और इल्जाम पानी पर लगाते हो. कविता के माध्यम से लेखक ने इस सांकेतिक भाषा…
मनुष्य जीवन की उन्नति संगति से ही होती है। संगति से उसका स्वभाव परिवर्तित हो जाता है। संगति ही उसे नया जन्म देता है। जैसे,…
चिंता की एक बहुत ही उपयुक्चित व्याख्या विकिपीडिया से ली गयी है “एक भविष्य उन्मुख मनोदशा है, जिसमें एक व्यक्ति आगामी नकारात्मक घटनाओं का सामना…
‘ जुवान को समेट कर रखें ‘ जुवान पर लगाम औरफलों में आम,ये श्रेष्ठ माने जाते है, किसी ने क्या खूव कहा है,लम्वा धागा और…
‘उठाना नहीं‘ जिन्दगी का एक सीधा सा गणित याद रखो, जहाँ कदर नहीं,वहां जाना नहीं, जो पचता नहीं,उसे खाना नहीं, और जो सच वोलने पर…