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रिश्वत नहीं ये सुविधा शुल्क है -व्यंग रचना

रिश्वत नहीं ये सुविधा शुल्क है -व्यंग रचना भगवत पुराण में ऐसे कई अध्याय हैं जो मौखिक रूप से ही पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हुए…

शहरी कोचिंग सेंटर की दीवार पर लटके होर्डिंग्स में बच्चों की मुस्कराती तस्वीरें, जबकि नीचे एक बच्चा भारी बस्ता उठाए उदासी से सड़क पर चलता दिख रहा है।

“कोचिंग की कक्षाओं में क़ैद कच्चे ख्वाब: आधुनिक शिक्षा का अक्स”

आजकल के 99% अंक बच्चों की प्रतिभा नहीं, शिक्षा व्यवस्था की उदारता दर्शाते हैं। जहां पहले पास होना जश्न था, अब मेरिट भी बोझ है।…

आएट्रोजेनेसिसः चिकित्सकीय हिंसा का एक पक्ष -डॉ. श्रीगोपाल काबरा

चिकित्सा मानव सेवा का उत्कृष्टतम रूप माना जाता है और अपने शुद्ध और मूल रूप में है भी। लेकिन मानव शरीर पर किया गया हर…

एक बुज़ुर्ग महिला आरती करती दिख रही हैं, वहीं मोबाइल स्क्रीन पर एक बहू हाथ जोड़कर पूजा में शामिल है — यह वर्चुअल पूजा के माध्यम से जुड़ते परिवार की झलक है।

“वर्चुअल पूजा वाली बहुएं”-हास्य-व्यंग्य

आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं —…

एक व्यस्त डॉक्टर की ओपीडी में घुसने की कोशिश करता हुआ घमंडी पत्रकार, बाहर लाइन में खड़े मरीज, और डॉक्टर की पीठ पीछे सम्मान और डिग्रियों से सजी अलमारी।

हैप्पी डॉक्टर्स डे – व्यंग्य रचना

डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’…

एक लड़का रात में खिड़की से तारों को देखता हुआ, पीछे शेल्फ पर रखी ट्रॉफियों के बीच बैठा है — उसकी आँखों में प्रश्न हैं, सपने हैं।

मैं बच्चा हूँ, ट्रॉफी नहीं-कविता -डॉ मुकेश असीमित

यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों…

एक सूट पहना युवक लड़की देखने आया है, उसके चेहरे पर असमंजस है, सामने लड़की उदासी से चाय पकड़े खड़ी है। पीछे "Danger Ahead" जैसे बोर्ड हैं — दृश्य में हास्य और सामाजिक विडंबना झलकती है।

जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान

रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी…

"एक बच्चे द्वारा कचरा पात्र में केले का छिलका डालते हुए, पास में ईमानदार नौकरानी, सैनिक की पत्नी बुज़ुर्ग की सेवा में, और एक डॉक्टर मानवता के शिविर की ओर दौड़ती हुई – रोज़मर्रा के साधारण कर्मों में देशभक्ति की झलक।"

क्या होती देशभक्ति?-कविता-बात-अपने-देश-की

देशभक्ति केवल नारों या गीतों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के उन छोटे-छोटे कर्मों में छिपी होती है जो सादगी से, ईमानदारी से, कर्तव्य की भावना…