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एक महिला लाल साड़ी में जोश से लाइव कार्यक्रम कर रही है, पीछे उसका बेटा और पति हैरान-परेशान मुद्रा में खड़े हैं, टेबल पर लैपटॉप और माइक रखा है।

अड़े रहो सखियों— ये जिंदगी तो ना मिलेगी दोबारा—

श्रीमती बिंदिया ढहया लेखिका बनने के बाद अब “एडमिन” बनने पर अड़ी हैं — फेसबुक पेज, लाइव कार्यक्रम, महिला मंच… सब कुछ चाहिए उन्हें! बेटा…

एक मध्यम आयु का व्यक्ति एक लकड़ी की मेज़ पर उदास मुद्रा में बैठा है, उसके चेहरे पर गहरी चिंता की झलक है। उसने लाल शर्ट और काले कोट के ऊपर एक छोटा सा लाल हथौड़ा-हंसिया का चिह्न लगाया हुआ है, और मेज़ पर एक गिलास में हल्का भूरा शराब (सिंगल मॉल्ट) रखा है। पृष्ठभूमि में गर्म और गहरे रंगों की अमूर्त बनावट है।

“बेसहारा सर्वहारा चिन्तक” कविता रचना-डॉ मुकेश असीमित

एक मुखौटा जो क्रांति का नाम लेता है, और एक जाम जो सिंगल मॉल्ट से छलकता है। डॉ. मुकेश ‘असीमित’ की यह तीखी व्यंग्यात्मक कविता…

एक न्यूनतम चित्रण जिसमें दो अमूर्त मानव आकृतियाँ एक-दूसरे की ओर उन्मुख हैं, उनके बीच एक जुड़ाव रेखा है। ऊपर दिल और नीचे जुड़ी हुई प्रतीकात्मक आकृतियाँ रिश्तों की जटिलता और भावनात्मक गहराई को दर्शाती हैं।

“रिश्ते (गजल ) दो छायाओं के बीच अनकहे जुड़ाव ।”

गजल – रिश्ते रिश्तों में विसाल उतना है जरूरी, मेरे लिए हर सिम्त में रिश्ते है जरूरी पर कुछ लोग बना देते है मैदान-ए-मतकल, मेरी…

एक रंग-बिरंगी बाल चित्रकथा शैली की चित्र में बच्चे पौधे लगा रहे हैं, पानी बचा रहे हैं, और कूड़ेदान में कचरा डाल रहे हैं। पीछे नीला आसमान, हरी धरती और चमकती धूप है — प्रकृति की गोद में बच्चों की पर्यावरण संरक्षण की सीख।

धरती मां की पुकार: पर्यावरण संरक्षण पर प्रेरणादायक बाल कविता

धरती हमारे जीवन की आधारशिला है — नीला अम्बर, हरी ज़मीन, और प्रकृति के अनमोल रंगों से सजी यह दुनिया हमें जीवन, शांति और सुख…

एक घना हरा-भरा जंगल जिसमें सामने एक हिरण खड़ा है, ऊपर एक पक्षी उड़ रहा है और एक कौआ झाड़ी पर बैठा है; पृष्ठभूमि में धुंध से ढकी पहाड़ियाँ और ऊँचे-ऊँचे पेड़ दिख रहे हैं।

जंगल की पुकार: हरियाली, जीवन और संरक्षण की कविता

जंगल केवल पेड़ों और जानवरों का घर नहीं, बल्कि हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं। यह हरियाली, शांति, और जैव विविधता का प्रतीक हैं, जो…