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चालीस के पार -तौबा रे तौबा

चालीस के पार -तौबा रे तौबा

चालीस पार करने के बादबहुत तकलीफ होती है..कुछ अच्छा नही लगता.. तीस पर थेतब कितना अच्छा लगता था..कितना उत्साह था जिंदगी में..कभी भी कहीं भी…

"अपनी राह" हिंदी कविता

“अपनी राह” हिंदी कविता महादेव प्रेमी रचित

“अपनी राह”कुण्डली 8चरण अपनी राह स्वयम् चुनो,तव पाओगे मान,नदियां सागर में मिले,खो अपनी पहचान, खो अपनी पहचान,नदी सागर में मिलती,मीठे जल को छोड़,सभी सागर में…

आलोचना प्रशंसा हिंदी कविता

“आलोचना प्रशंसा” हिंदी कविता महादेव प्रेमी

“आलोचना प्रशंसा”कुण्डली 8 चरण आलोचना अरु प्रशंसा,एक दूजे विपरीत,करते सव ही है सदा,यह दुनियां की रीत, यह दुनियां की रीत,न रीझ प्रशंसा सुनकर,निंदा कोई करै,कभी…