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"कार्टून व्यंग्य चित्र: कृष्ण का बालरूप मक्खन हांडी तक हाथ बढ़ाता, और पास ही नेता, अफसर, व्यापारी माखन के बड़े-बड़े लड्डू खा रहे हैं; जनता माखन घिसते दिख रही है।"

माखन लीला-हास्य व्यंग्य रचना

कृष्ण की माखन लीला आज लोकतंत्र में रूप बदल चुकी है। जहाँ कान्हा चोरी से माखन खाते थे, वहीं आज सत्ता और समाज में सब…

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"भारत माँ की एक प्रतीकात्मक छवि, आँखों में आँसू, हाथ में मुरझाता तिरंगा, पृष्ठभूमि का एक हिस्सा गौरवशाली अतीत दर्शाता और दूसरा हिस्सा आधुनिक पतन और अव्यवस्था का चित्रण करता हुआ।"

एक चिट्ठी भारत माँ के नाम

भारत माँ को लिखी बेटी की भावनात्मक चिट्ठी, जिसमें अतीत के गौरवशाली भारत और वर्तमान की विडंबनाओं का तुलनात्मक चित्रण है। वीरता, सांस्कृतिक सौहार्द और…

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व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें दुनिया के वरिष्ठ नेता—पुतिन, मोदी, ट्रंप, नेतन्याहू, खोमनेई—हाथ में ताश के पत्तों की जगह देशों के नक्शे और स्टीयरिंग पकड़े हैं, और मंच पर खड़े होकर जोश में दुनिया की दिशा तय कर रहे हैं, जबकि दर्शक हतप्रभ हैं।

साठा सो पाठा-व्यंग्य रचना

साठ के बाद ‘रिटायर’ नहीं, ‘री-फायर’ होना चाहिए—ये दुनिया के पुतिन, मोदी, ट्रंप, नेतन्याहू और खोमनेई साबित कर चुके हैं। अनुभव, जिद और आदतों का…

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हास्य-व्यंग्य कार्टून जिसमें ChatGPT एक कंप्यूटर स्क्रीन से झोला-छाप डॉक्टर के रूप में बैठा है, मरीज की देसी बोली का शब्दशः अर्थ लेकर अजीबोगरीब इलाज सुझा रहा है, और मरीज़ हंसते-हंसते लोटपोट हो रहा है।

एआई का झोला-छाप क्लिनिक

तकनीक के झोला-छाप अवतार में ChatGPT ने मरीज की देसी बोली का ऐसा शब्दशः अर्थ निकाला कि इलाज से ज़्यादा हंसी आ गई। नमक बदलने…

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व्यंग्यात्मक लेख जिसमें इंसान और कुत्ते की आवारगी की तुलना की गई है, अदालत के आदेश, शेल्टर, राजनीति और सामाजिक विडंबनाओं के संदर्भ में। हास्य और कटाक्ष के साथ दिखाया गया है कि इंसान का ‘कुत्तापन’ कुत्तों से भी खतरनाक है।

आदमी और कुत्ते की आवारगी-व्यंग्य रचना

ह व्यंग्य इंसान और कुत्ते की आवारगी के बीच की महीन रेखा को तोड़ता है। अदालत के आदेश से कुत्तों को शेल्टर में डालने का…

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एक साधारण घर की दीवारें, जिन पर समय के भावनात्मक रंग चढ़े हैं — हंसी, आंसू, सपने, झगड़े, और मन की उलझनें, मानो वे सब कुछ देख-सुन रही हों।

मेरे घर की ये  दीवारें-कविता रचना

मेरे घर की दीवारें सिर्फ दीवारें नहीं, वे मेरी जिंदगी की साक्षी हैं। उन्होंने मुझे नाचते-गाते, रोते, सपने बुनते, सपनों के टूटने पर टूटते, झगड़ते,…

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कार्टून में कोने में धूल खाती ट्रेडमिल, जिस पर कपड़े टंगे हैं और बच्चे उस पर खेल रहे हैं, सामने पेट सहलाता मालिक खड़ा है।

ट्रेडमिल : घर आया मेहमान-हास्य व्यंग्य रचना

ट्रेडमिल बड़े जोश से घर आया, पर महीने भर में कपड़े सुखाने का स्टैंड बन गया। जैकेट, साड़ियाँ, खिलौने सब उस पर लटकने लगे। वज़न…

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एक मिनिमलिस्टिक अमूर्त चित्र जिसमें एक नाज़ुक लाल रक्षा सूत्र का धागा, एक प्रज्वलित मशाल के चारों ओर लिपटा है, पृष्ठभूमि में गहरे साये में छिपे भयावह पंजों की परछाइयाँ। धागा और मशाल मिलकर सुरक्षा और संकल्प का प्रतीक बनते हैं।

रक्षा सूत्र का प्रण-कविता रचना

रक्षा सूत्र का संकल्प सिर्फ परंपरा नहीं, यह भय के अंधेरों में जलती प्रतिज्ञा की मशाल है। नाज़ुक धागे में बंधा विश्वास, समाज की दरारों…

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