साक्षात्कार – पति पत्नी में अहम नहीं बल्कि मित्रता जरूरी Babita Kumawat June 28, 2025 Blogs 0 Comments अकांक्षा और राकेश जी ने साझा किया कि वैवाहिक जीवन में अहम नहीं, मित्रता होनी चाहिए। संवाद, माफ़ी और साथ बिताया गया समय ही एक… Spread the love
संविधान सभा में हिंदी पर हुई बहसें और उनके विविध परिणाम Dr Shailesh Shukla June 28, 2025 Blogs 0 Comments यह लेख भारतीय संविधान सभा में राष्ट्रभाषा पर हुए विमर्श की जटिलता को रूपायित करती है — जहाँ हिंदी को एकता का प्रतीक मानने वालों… Spread the love
कैपविहीन कलम का करुण क्रंदन डॉ मुकेश 'असीमित' June 27, 2025 Blogs 7 Comments डॉक्टर साहब की जिंदगी पेन की कैप पर अटक गई है। कभी स्टाफ फेंक देता है, कभी चूहा चुरा लेता है! कैपविहीन पेन की स्याही… Spread the love
उनके होंठ-कविता -बात अपने देश की Veerendra Narayan jha June 26, 2025 Poems 0 Comments उनके होंठ बस होंठ नहीं, सत्ता के हथियार हैं — हवा में तैरते छल्लों जैसे, जो कभी बयान बनते हैं, कभी धमकी। दिल और दिमाग… Spread the love
संगिनी-कविता-बात अपने देश की Aasha Pallival Purohit Aashu June 26, 2025 Poems 0 Comments यह कविता एक मौन, निःस्वार्थ संगिनी की बात करती है — परछाई की, जो जीवन भर साथ चलती है, बिना शिकायत, बिना अपेक्षा। वो सिर्फ… Spread the love
“सिसकियों से स्वर तक”-कविता रचना Neha Jain June 26, 2025 Poems 0 Comments यह कविता स्त्री की आंतरिक वेदना से उपजे साहस की गाथा है। रुदन और मौन के बीच खड़ी वह स्त्री, जो अब हार नहीं, संकल्प… Spread the love
हमें दिल का ज़माना चाहिए-गजल Shakoor Anvar June 26, 2025 Poems 0 Comments दिल के दौर में दुनिया ने खज़ाने मांगे। भूख से लिपटी आत्मा को सिर्फ़ आसरा चाहिए था। शिकारी ने निशाना ढूंढ़ा, और प्यार को बस… Spread the love
मातृभूमि-कविता देश भक्ति की Meenakshi Anand June 25, 2025 Poems 1 Comment यहकविता मातृभूमि के प्रति श्रद्धा, बलिदान और गौरव की भावना को दर्शाती है। हिमालय से सागर तक फैली इस पुण्यभूमि को नमन करते हुए व्यक्ति… Spread the love
अड़े रहो सखियों— ये जिंदगी तो ना मिलेगी दोबारा— Sushma Vyas June 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments श्रीमती बिंदिया ढहया लेखिका बनने के बाद अब “एडमिन” बनने पर अड़ी हैं — फेसबुक पेज, लाइव कार्यक्रम, महिला मंच… सब कुछ चाहिए उन्हें! बेटा… Spread the love
” चला ढूढ़ने जीवन को ” Uttam Kumar June 25, 2025 Poems 0 Comments यह कविता जीवन की उस रहस्यमय दिशा की तलाश है, जहाँ कोई पदचिन्ह नहीं और कोई उत्तर नहीं। कवि उस अज्ञात छोर की ओर देखता… Spread the love