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कार्टून कैरिकेचर: पति बिस्तर पर लेटा “दिवाली के बाद” की तख्ती पकड़े है, जबकि पत्नी झाड़ू और बाल्टी लेकर फूलन देवी के रूप में गुस्से में खड़ी है। पृष्ठभूमि में पटाखों और मिठाइयों के बीच दुकानदार, उधार लेने वाला और डॉक्टर—सब अपने-अपने बहानों की पर्ची दिखाते हैं।

दिवाली के बाद-हास्य व्यंग्ग्य रचना

दिवाली के बाद—यह चार शब्द किसी भी अधूरे काम, टली हुई ज़िम्मेदारी और बचने की कला का ब्रह्मास्त्र हैं। शादी से लेकर कर्ज़ चुकाने तक,…

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“Surrealistic abstract mural combining all nine forms of Goddess Navdurga in one cosmic vision — Shailaputri on a bull, Brahmacharini with rosary and kamandalu, Chandraghanta with lion and bell, Kushmanda radiating the sun, Skandamata with Kartikeya, Katyayani as warrior, Kalaratri fierce and dark, Mahagauri serene in white, Siddhidatri on lotus — all merging into a cosmic tandava of light, fire, rivers, mountains, and galaxies.”

नवदुर्गा-ताण्डव स्तोत्रम्

नवदुर्गा ताण्डव स्तोत्रम् देवी शक्ति के नौ स्वरूपों का अद्भुत संगम है—शैलपुत्री की स्थिरता से लेकर सिद्धिदात्री की पूर्णता तक। यह स्तोत्र न केवल विनाश…

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एक व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें एक महिला, जो हिंदी भाषा का प्रतिनिधित्व कर रही है, एक ब्यूटी पार्लर की कुर्सी पर बैठी है। एक मेकअप आर्टिस्ट, जो नौकरशाही को दर्शाता है, एक बड़े पेंट रोलर से उसके चेहरे पर भारी मात्रा में मेकअप लगा रहा है, जिससे उसकी प्राकृतिक सुंदरता छिप गई है और वह असहज महसूस कर रही है।

हिंदी का ब्यूटी पार्लर

हिंदी भाषा को सरकारी दफ़्तरों और आयोगों में किस तरह से बोझिल और जटिल बनाया गया है, जिससे वह अपनी सहजता और सुंदरता खो रही…

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WhatsApp के ग्यानी और बहस का जाल

WhatsApp के ग्यानी और बहस का जाल कभी-कभी लगता है कि किसी “व्हाट्सऐप फॉरवर्डीये ज्ञानी” से बहस करना ऐसा है जैसे पानी में रेत की……

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"हास्य-व्यंग्यात्मक कार्टून जिसमें मोबाइल पर लगातार काम करते हुए दर्द से परेशान अंगूठा बैंडेज बांधे दिखाया गया है, जबकि बाकी उंगलियाँ आराम से बैठी हैं। अंगूठा थकान और जिम्मेदारी से कराहता हुआ घर के मुखिया की तरह दिख रहा है।"

अंगूठे का दर्द,अंगुली नहीं जानती

“अंगूठा डिजिटल युग का असली मुखिया है—स्याही वाले निशान से पहचान तक और मोबाइल की स्क्रीन पर टाइपिंग तक। लेकिन दुख यह है कि अंगूठे…

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आजाद गजल-देश पर एहसान उनके

“आजाद ग़ज़ल” जीवन, समाज और राष्ट्र के विरोधाभासों का जीवंत चित्र खींचती है। माँ की गोद में मासूमियत है तो जंगलों के कटने पर पत्तों…

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“दो पड़ोसी परिवार सड़क पर नाली के कचरे को लेकर झगड़ रहे हैं, एक महिला रंग देखकर अपनी सफाई दे रही है, दूसरा परिवार गुस्से में तर्क दे रहा है, आसपास लोग हँसते-देखते खड़े हैं, और पृष्ठभूमि में ‘स्वच्छ भारत अभियान’ का बोर्ड लगा है।”

कचरा गाथा: नाली के सम्राटों की जंग!

सुबह की ताज़ी हवा और गालियों की महक—यही हमारी कॉलोनी का ‘नियम’ है। इस बार झगड़े की वजह बनी नाली में बहाया गया कचरा। एक…

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कोहरे में खिलते फूल-book review

कोहरे में खिलते फूल गृहस्थ-जीवन का ताना-बाना सुदृढ़ बुनावट के लिए रिश्तों के तंतुओं को संबंधों के आत्मीय आयाम हेतु कैसे उपयुक्त रंग एवं आकार……

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A surrealistic abstract artwork depicting the intimate bond between a human and language—an old folded letter radiating earthy fragrance, a glowing lantern in darkness, a mother’s echoing call in crowded alleys, a childhood swing suspended in memory, and rhythmic waves of sound merging with soil and breath.

भाषा और मेरा रिश्ता-कविता

भाषा और मेरा रिश्ता महज़ शब्दों का नहीं, स्मृतियों, संवेदनाओं और सांसों का जीवित संगम है। यह कभी जेब में रखी पुरानी चिट्ठी की तरह…

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बड़े कोल्हू का कार्टून—बीच में जोते हुए पट्टी बांधे बैल, ऊपर आराम करते नेता-आफिसर तेल की बोतलें पकड़ कर हँस रहे हैं; पृष्ठभूमि में रैलियों के लाउडस्पीकर और घंटी बजती दिखती है।

कोल्हू का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

यह लोकतंत्र दरअसल एक कोल्हू है जिसमें बैल बनकर हम आमजन जोते जा रहे हैं। मालिक—नेता और अफसर—आराम से ऊँची कुर्सियों पर बैठकर तेल चूस…

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