स्मृतियों की छाँव में माँ-संस्मरण डॉ मुकेश 'असीमित' July 19, 2025 संस्मरण 1 Comment ChatGPT said: “स्मृतियों की छाँव में माँ” एक फेसबुक पोस्ट ने माँ की ममता से भरे बचपन की स्मृतियाँ फिर से जगा दीं। वो सुबह-सुबह… Spread the love
आश्वासन की खेती-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments लोकतंत्र आश्वासनों पर टिका है, जहाँ हर पार्टी का घोषणा-पत्र वादों का कठपुतली शो होता है। जनता वोट रूपी टिकट से यह खेल देखती है,… Spread the love
The Bachelor Son, the Miserable Father डॉ मुकेश 'असीमित' July 17, 2025 Satire 0 Comments In this satirical slice of clinic life, a doctor recounts the visit of an old acquaintance who barges in unannounced—not for treatment, but for tea,… Spread the love
हिंदी प्रयोग, सहयोग, विरोध और गतिरोध-कविता Dr Shailesh Shukla July 17, 2025 हिंदी कविता 1 Comment यह कविता हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिलने के बावजूद उसके व्यावहारिक उपयोग में आने वाली चुनौतियों और उपेक्षा को दर्शाती है। यह बताती… Spread the love
किराएदार की व्यथा: एक हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हास्य रचनाएं 0 Comments इस रचना में किराएदार की ज़िंदगी की उन अनकही व्यथाओं को हास्य और व्यंग्य के लहज़े में उजागर किया गया है, जिन्हें हम सभी कभी… Spread the love
क्रौंच पक्षी और वाल्मीकि: संवेदना से जन्मा साहित्य डॉ मुकेश 'असीमित' July 16, 2025 हिंदी लेख 2 Comments महर्षि वाल्मीकि और क्रौंच पक्षी का ऐतिहासिक प्रसंग संस्कृत साहित्य में भावनात्मक संवेदना का महत्व कालिदास की काव्य कृतियों का मूल्य और समकालीन साहित्य साहित्य… Spread the love
बरसात की बूंदे -कविता-रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 15, 2025 हिंदी कविता 0 Comments बारिश की धीमी बूँदें जैसे प्रेम पत्र हों, जो धरती पर उतरते ही एक गीत बन जाएं। डॉ. मुकेश असीमित की कविता “बरसात की बूंदे”… Spread the love
ये बारिश की बूंदे-हिंदी कविता Vidya Dubey July 15, 2025 हिंदी कविता 2 Comments बारिश की हर बूंद, प्रतीक्षा की तपिश से दहकती है। पेड़-पत्ते जवां हैं, बगिया महकी है, लेकिन प्रेमी नहीं आया। बूंदें अब फूल नहीं, अंगारे… Spread the love
बाढ़ में डूबकर भी कैसे तरें-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 15, 2025 व्यंग रचनाएं 6 Comments बाढ़ आई नहीं कि सरकारी महकमें ‘आपदा प्रबंधन’ में ऐसे सक्रिय हो गए जैसे ‘मनौती’ पूरी हो गई हो। नदी उफनी नहीं कि पोस्टर लग… Spread the love
गिरने में क्या हर्ज़ है-किताब समीक्षा-प्रभात गोश्वामी डॉ मुकेश 'असीमित' July 15, 2025 Book Review 2 Comments डॉ. मुकेश असीमित का व्यंग्य संग्रह ‘गिरने में क्या हर्ज़ है’ न केवल भाषा की रवानगी दिखाता है, बल्कि विसंगतियों की गहरी पड़ताल भी करता… Spread the love