Login    |    Register
Menu Close

पंचायत सीज़न 4: फुलेरा की मिट्टी में राजनीति की महक!

फुलेरा गांव की सोंधी मिट्टी में डूबी पंचायत वेबसीरीज़ का पोस्टर, जिसमें सचिव जी गंभीर मुद्रा में खड़े हैं, पृष्ठभूमि में चुनावी पोस्टर और रिंकी की हल्की मुस्कान दिख रही है, एक कोने में प्रधान जी उदास बैठे हैं।

पंचायत सीज़न 4: फुलेरा की मिट्टी में राजनीति की महक!
समीक्षा: डॉ. मुकेश ‘असीमित’

फुलेरा लौट आया है जी, ‘पंचायत’ शृंखला की ठेठ आंचलिक मिट्टी की भीनी-भीनी सुगंध लिए… इस मानसून में, पर इस बार माटी में थोड़ा सियासत का धूल-धक्कड़ ज़्यादा है!”

निजी अनुभव बताते हुए कहूँ तो, पहले दो एपिसोड देखने पर लगा कि “कुछ खिंचा-खिंचा सा है”। लेकिन बेटे के कहने पर आगे बढ़े, कि “पापा, आखिरी के दो एपिसोड में ट्विस्ट है…” बस, उस रहस्य के परदाफाश को देखने के लिए हम देखते चले गए — और सच कहें तो अंतिम दो एपिसोड्स में जो मोड़ और भावनाओं का जादू था, उसने हमें पूरी शृंखला देखने पर विवश कर दिया।

टीवीएफ (द वायरल फीवर) की बहुप्रशंसित शृंखला ‘पंचायत’ का चौथा सीज़न 24 जून 2025 की आधी रात को ‘ऐमेज़ॉन प्राइम वीडियो’ पर जारी हुआ। पहले तीन सीज़नों की सीधी-सादी गंवई कहानियों के बाद, इस बार स्क्रिप्ट ने राजनीति, प्रेम और परीक्षा—तीनों को मिलाकर एक नया रस तैयार किया है।

लेकिन प्रश्न यह स्वाभाविक रूप से उठता है कि ‘पंचायत’ का वह ठेठ ग्रामीण स्वाद, जिसके लिए यह जाना जाता है, क्या वह पहले जैसा बरकरार है?

अब देखिए, पूरी कहानी अगर हम अभी बता देंगे, तो आप कहेंगे कि सारा सस्पेंस ही खत्म कर दिया। तो चलिए, कुछ नया जो आप ख़ुद महसूस करेंगे, उसी की ओर इशारा करते हैं—

सीएटी में 97 पर्सेंटाइल आए हैं सचिव जी के… है न ख़ुशी की बात? जी हाँ, हमारे सचिव जी यानी अभिषेक ने आखिरकार सीएटी (कॉमन ऐडमिशन टेस्ट) फतह कर लिया। एक सपने का अंत और दूसरे की शुरुआत—एक भावनात्मक समापन जैसा एहसास देता है।

रिंकी का ‘आई लव यू’: लंबे समय से टलती प्रेमगाथा में आखिरकार स्वीकारोक्ति हो ही गई। “रिंकी-बीज” के फूल अब खिलने लगे हैं! हाँ जी, दर्शक का भी यही इंतज़ार था कि इस सीज़न में रिंकी और सचिव के बीच प्रेम की फुलवारी को थोड़ा खिलने दिया जाए…

राजनीतिक उलटफेर: क्रांति देवी का जीतना, मंजू देवी की हार, और प्रधान जी की आँखों में उतरता सूनापन—सारे ट्विस्ट राजनीति के मैदान में। प्रधान जी की आँखों में जो खालीपन है, वह देखना इस बार सचमुच बनता है।

कुछ बातें जो इस सीज़न को दमदार बनाती हैं:

अभिनय फिर से दमदार: जितेन्द्र कुमार (अभिषेक), नीना गुप्ता (मंजू देवी), रघुवीर यादव (प्रधान जी)—सभी ने अपने किरदारों को फिर से पूरी ईमानदारी से जिया है।

गाँव अब भी वैसा ही है: चुनावों की साजिशें, गाँव की गंध, और रसूखदारों की चालबाज़ियाँ—वो सब इस बार थोड़ी और गहराई से पेश की गई हैं।

बिनोद-पार्टी का तड़का: “देख रहा है बिनोद?” थोड़ा कम सुनने को मिला भूषण के मुँह से… लेकिन फिर भी बिनोद और प्रह्लाद की उपस्थिति इस बार भी मज़ेदार रही। उनका हास्य और संवाद फिर से शो की जान बने।

अब कुछ चूकें जो मुझे नज़र आईं—

कहानी में खिंचाव: पहले दो सीज़नों की एपिसोडिक ताज़गी अब एक लंबी कहानी में बदल गई है—जिसमें कभी-कभी बोरियत का एहसास होता है।

हास्य की कमी: वो चुटीली, हल्की-फुल्की हँसी अब कम दिखाई देती है। इस बार भावनाएँ ज़्यादा हैं, हँसी थोड़ा कम। संवाद अदायगी में वह चुटीलापन और पंच कम नज़र आया। दारू पार्टी और चौपाल की चर्चाएँ अब भी हैं… लेकिन पिछले बार के मुकाबले कम गुल खिला पाईं।

सचिव जी अब ‘फॉलो’ करते से नज़र आते हैं: पहले जहाँ अभिषेक केंद्रीय ऊर्जा थे, अब वे ज़्यादा प्रतिक्रिया देते हुए दिखते हैं, नेतृत्व करते नहीं।


अगर आप आंचलिक परिदृश्य से जुड़ाव महसूस करते हैं… फुलेरा और इसके आपको अपने जैसे लगने लगते हैं… तो यह सीज़न आपके लिए है — चाहे सी.ए.टी. का परिणाम हो या प्रधान जी का हार्टब्रेक… सब कुछ आपके भावनात्मक बटन को दबाने के लिए तैयार है।

लेकिन अगर आप सिर्फ़ हँसी और मस्ती की उम्मीद लेकर बैठे हैं, तो थोड़ा सब्र रखना होगा — यह सीज़न धीमी आँच पर पकाया गया है। यह इस पर निर्भर करता है कि आपकी हँसी का ट्रिगर पॉइंट कहीं बहुत ऊँचा तो नहीं है… अगर है, तो फिर यह यात्रा थोड़ी मुश्किल हो सकती है।

और आलोचकों की प्रतिक्रियाएँ अभी एकमत नहीं हैं… सब मिली-जुली हैं।

मिश्रित प्रतिक्रियाएँ: कुछ दर्शक इसे अब तक का सबसे कमज़ोर सीज़न बता रहे हैं — कहते हैं “खींचा गया”, “कहानी थकी-थकी सी लगती है”।

भोलापन कम, राजनीति ज़्यादा: आलोचकों का कहना है कि “सरलता अब कम हो गई है, राजनीति ने शो को थोड़ा भारी बना दिया है”।

फिर भी प्रिय: टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने इसे 3.5/5 की रेटिंग दी है, और कहा है कि इसकी “मृदुल आकर्षण” अब भी जीवित है।

टी.वी.एफ. के सीज़नों — जैसे ये है फैमिली, गुल्लक — की ख़ासियत यह रही है कि हर एपिसोड एक अलग कहानी कहता है… एक कहानी जो लघु फ़िल्म की तरह एक ही सीज़न में पूरी हो जाती है। लेकिन जब किसी कहानी को कई सीज़नों में खींचने और रिकॉर्ड बनाने की कोशिश होती है, तो कई बार वह कहानी रबर की तरह खिंची हुई प्रतीत होने लगती है — जैसे पंचायत में।

अब एक निरंतर बहती राजनीति ने इसमें थोड़ी दोहराव की भावना ला दी है — यह निश्चित ही गुल्लक जैसी एपिसोडिक ताज़गी की कमी महसूस कराएगी।

फिर भी आज के दौर में, जब वेब सीरीज़ मार-धाड़, गाली-गलौज और अश्लीलता से भरी होती हैं, वहाँ पंचायत 4 एक साफ़, सरल और ‘परिवार संग’ देखने लायक शो बना रहता है।

अब इतना सब कह देने के बाद आप यही कहेंगे… “आख़िर कहना क्या चाहते हो? देखना चाहिए या नहीं?”

तो जी… देखिए ज़रूर!”

गाँव की वही ज़िंदगी, वही संघर्ष, वही नोक-झोंक, अब राजनीति की नई परतों के साथ और थोड़े गहरे रंग में। अगर आप ‘पंचायत’ के पहले से प्रेम करते रहे हैं, तो इस बार भी आपको निराशा नहीं होगी—बस स्वाद थोड़ा बदला हुआ है।

पंचायत अब मथुरा के पेड़े जैसा हो गया है — अब पछताना ही है तो एक बार खाकर ही पछता लीजिए ना…


#पंचायत_सीज़न_4 #टीवीएफ_समीक्षा #फुलेरा_डायरीज़ #सचिव_रिंकी_प्रेमकथा #जनता_का_फैसला

— डॉ. मुकेश ‘असीमित’

(लेखक, व्यंग्यकार, चिकित्सक)

निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान 
पता -डॉ मुकेश गर्ग 
गर्ग हॉस्पिटल ,स्टेशन रोड गंगापुर सिटी राजस्थान पिन कॉड ३२२२०१ 

पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ 

लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, लेख, व्यंग्य और हास्य रचनाएं

प्रकाशित  पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से )
काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से 
काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से 
अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य  संग्रह ) नोशन प्रेस से 

गिरने में क्या हर्ज है   -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से 

प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन )  किताबगंज   प्रकाशन  से 
देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित 

सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन  अवार्ड  ” 

📚 मेरी व्यंग्यात्मक पुस्तकें खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करें – “Girne Mein Kya Harz Hai” और “Roses and Thorns
Notion Press –Roses and Thorns

📧 संपर्क: [email protected]

📺 YouTube Channel: Dr Mukesh Aseemit – Vyangya Vatika
📲 WhatsApp Channelडॉ मुकेश असीमित 🔔
📘 Facebook PageDr Mukesh Aseemit 👍
📸 Instagram PageMukesh Garg | The Focus Unlimited 🌟
💼 LinkedInDr Mukesh Garg 🧑‍⚕️
🐦 X (Twitter)Dr Mukesh Aseemit 🗣️

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *