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बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य

त के दृश्य में बारिश के बीच एक मंच पर झींगुर नेता भाषण दे रहे हैं, उनके सामने झींगुरों की भीड़ समर्थन में नारे लगा रही है। पीछे बैनर 'झींगुर अधिकार सम्मेलन' टंगा है, माहौल व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण है।

बरसात आते ही पानी की बूंदों की विभिन्न तरीके की आवाजे  आती है।संगीत वालों ने ऐसी  बारिश और बूंदों की आवाज के संयोजन पर कई गाने बना डाले।उन्हें बारिश की बूंदों में मधुर संगीत राग सुनाई देता है।

इस बारिश के मौसम में बूंदों की आवाज के साथ ही एक आवाज और आने लगती है वह है झींगुरों की।किसी कवि,किसी संगीतकार को इन झींगुरों में कोई मीठा संगीत क्यों सुनाई नहीं दिया? वैसे देखा जाए तो हमारे पूर्वजों को कोयल की आवाज मीठी लगती थी।कोयल अब बची नहीं । हमारे हिस्से में आए ये झींगुर,अब तो  इन्हीं के स्वर को आप संगीतमय मानना ही पड़ेगा। वैसे भी झीगुरों के शोर में कोयल की आवाज सुनता भी कौन ।

ध्यान से देखेंगे तो आपको लगेगा कि प्रकृति ने इनके साथ न्याय नहीं किया है।इन्हें आवाज तो दी पर ज्यादा बड़ा जीवन नहीं दिया।हमे इन बेचारे दबे कुचले झिंगुरी झींगरों के साथ खड़ा होना पड़ेगा।

जैसे ही पानी आता है हर साल टप टप करते झींगुर आ जाते है।फिर रात को सन्नाटे को चीरती आती है उनकी आवाज।ऐसा लगता है जैसे दो तीन सौ झींगुर एक साथ राग मल्हार गा रहे हों ।

एक दिन मैने ध्यान से सुना झींगुरों के उस कोलाहल  को,तो पता चला कि उनके बीच एक अधिकार सभा हो रही है।झींगुर नेता अपने समर्थकों को संबोधित कर रहे थे।एक झींगुर नेता कह रहा था हमारे साथ प्रकृति ने अन्याय किया है हमको न्याय चाहिए ।हम सब एक दो दिन के मेहमान है ।हमे आदमी द्वारा कभी भी कुचल दिया जाता है,,।

एक झींगुर ने कहा नेता जी आदमी ने तो शेर हाथी जैसे शक्तिशाली  जानवर नहीं छोड़े तो हमे क्या बख्शेगा ।

दूसरे ने कहा बात सही है लेकिन ये जीवन का अधिकार क्या केवल आदमी के लिए है,,?

झींगुर सभा के अध्यक्ष जो चार पांच दिन से किसी गाड़ी के नीचे आने से बच गए लाइट के खंभे से उड़कर सीधे मंच पर लांच हुए थे।उन्होंने गांभीर्य रूप लिया बोले सबसे पहले  मेरा एक प्रस्ताव सुनिए ।इसको हम अपने ज्ञापन में शामिल करेंगे।

चार दिन पुराने बुजुर्ग ने तकरीर जारी रखी “ ये जो एक फिल्मी गाने में बार बार एक शब्द आया है ,”, झींगालाला झीगलाला “ उसे प्रतिबंधित किया जाए।

इस बात पर एक झींगरी ने कहा ऐसा ही मैने टीवी पर देखा था,, जिसमें एक एक्टर कहता है इसको लगा डाला तो लाइफ झींगा लाला ,,।

ये क्या है,,इसमें अगर हमारे नाम का उपयोग किया जा रहा है तो हमको इसकी रॉयल्टी  मिलना चाहिए।

तभी सभा में एक जोर जोर से चीखने की आवाज आई ,सबने देखा कि एक बच्चा झींगुर था ।वह बोला आप सबके प्रस्ताव अच्छे है।इसके पहले ये जो हमको बार बार कमजोर साबित करने के लिए किसी कमजोर ,दुर्बल ,कुपोषित व्यक्ति को झींगुर शब्द से संबोधित करते है इसको बदलना चाहिए । हमको भी आरक्षण चाहिए ,आरक्षण शब्द सुनते ही एक दम समर्थन में शोर उठ गया,झींगुर सभा ने भारी आवाज करके उसको समर्थन दिया।

अब सभा में जब आरक्षण का मुद्दा आया तो सबने कहा चुप हो जाइए,,बताइए हमे आरक्षण किस प्रकार के चाहिए,,।

एक झींगरी ने कहा ,, मै देखती हूं कि लोग हमे सड़क पर दबा देते है,इसके लिए हमें सड़क के ऊपर ऊपर एक अलग से स्पेस मिलना चाहिए।

दूसरा बिंदु ये है कि ये जो बिजली के खंभे है ये सरकार के है ,हमे अपने खंभे चाहिए जहां हम बिना किसी रोक टोक के उड़ सके।

तीसरा बिंदु ये है कि हमे इन दिनों किसी भी होटल के खाने में घुसने का अधिकार चाहिए,कोई भी ग्राहक हम देखकर चिल्लाए नहीं, हमे चुपचाप प्लेट से निकालकर एक तरफ रख दे।

चौथा बिंदु ये है कि हम किसी के भी शर्ट पेंट, कान ,नाक में घुस सके इसके विशेषाधिकार हमे मिले और आखिरी बिंदु एक झींगुर अत्याचार निवारण आयोग का गठन किया जाए।

इस बात पर झींगुर सभा ने एक मत हर्ष उल्लास करके समर्थन दिया।ये जो रात को झींगुर की आवाज आती है न इसको ध्यान से सुनना ये उनके अधिकार सम्मेलन की रिकॉर्डिंग रील है।



रचनाकार-प्रदीप औदिच्य

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