आउल जी को भेंट-हास्य व्यंग्य कविता Ram Kumar Joshi October 4, 2025 हिंदी कविता 2 Comments सूरत की राजनीति में खानदानी गुरुर ने ऐसा पेंच फँसाया कि ‘बाई’ की जगह ‘राड’ निकल गया। जनसभाओं में गुणगान करते-करते सीट हाथ से निकल… Spread the love
चलो बुलावा आया है-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “चलो बुलावा आया है… दिल्ली ने बुलाया है। नेता, लेखक, कलाकार—सब दिल्ली की ओर ताक रहे हैं। दिल्ली एक वॉशिंग मशीन है, जहां दाग तक… Spread the love
गली में आज चाँद निकला-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “गली में आज चाँद निकला… पर यह कोई आसमान वाला चाँद नहीं, बल्कि टिकट की दौड़ में फँसा हुआ नेता चांदमल है। चाँदनी बिखेरने का… Spread the love
हारे हुए प्रत्याशी की हाल-ए-सूरत-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments चुनाव हारने के बाद नेताजी के चेहरे की मुस्कान स्थायी उदासी में बदल गई। कार्यकर्ता सांत्वनाकार बन चुके हैं, बासी बर्फी पर मक्खियाँ भिनभिना रही… Spread the love
रेवड़ी की सिसकियां-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 2, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “रेवड़ी की सिसकियां” एक व्यंग्यात्मक संवाद है उस ‘जनकल्याणकारी नीति’ की आत्मा से, जिसे अब राजनैतिक मुफ्तखोरी की देवी बना दिया गया है। लेख में… Spread the love
आश्वासन की खेती-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments लोकतंत्र आश्वासनों पर टिका है, जहाँ हर पार्टी का घोषणा-पत्र वादों का कठपुतली शो होता है। जनता वोट रूपी टिकट से यह खेल देखती है,… Spread the love
*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन * डॉ मुकेश 'असीमित' June 4, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो… Spread the love