कलियुग का रावण-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' October 2, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment अख़बार ने लिखा — इस बार रावण ‘मेड-इन-जापान’! पुतला बड़ा, वाटरप्रूफ, और दोनों पैरों से वोट माँगने तैयार। हम रोते नहीं, तमाशा देखते हैं: रावण… Spread the love
हिंदी का ब्यूटी पार्लर डॉ मुकेश 'असीमित' September 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments हिंदी भाषा को सरकारी दफ़्तरों और आयोगों में किस तरह से बोझिल और जटिल बनाया गया है, जिससे वह अपनी सहजता और सुंदरता खो रही… Spread the love
अंगूठे का दर्द,अंगुली नहीं जानती Pradeep Audichya September 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “अंगूठा डिजिटल युग का असली मुखिया है—स्याही वाले निशान से पहचान तक और मोबाइल की स्क्रीन पर टाइपिंग तक। लेकिन दुख यह है कि अंगूठे… Spread the love
दोस्ती और उधार-हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 18, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments दोस्ती अमृत है, मगर उधार की चिपचिपाहट इसे छाछ बना देती है। वही दोस्त जो आपकी माँ का हाल पूछता था, अचानक आपकी क्रेडिट कार्ड… Spread the love
मैं और मेरी हिंदी-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' September 13, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments मैं, अंग्रेज़ी दवा लिखने वाला डॉक्टर, अब हिंदी में लिखने लगा तो शहर के ‘हिंदी प्रहरी’ गुरुजी मेरी हर पोस्ट में बिंदी-अनुस्वार ढूंढते फिरते हैं।… Spread the love
जमाई राजा—कलियुग के कौवे डॉ मुकेश 'असीमित' September 12, 2025 हास्य रचनाएं 1 Comment श्राद्ध पक्ष में कौवों की कमी ने परम्पराओं को भी स्टार्टअप बना दिया। अब्दुल चाचा दो कौवे पालकर खीर चखवाने का 101 रुपये वाला ‘डिलीवरी… Spread the love
रायता पुराण : रायता फ़ैल गया डॉ मुकेश 'असीमित' September 3, 2025 हास्य रचनाएं 2 Comments “रायतपुराण” भोजन-संस्कृति का हास्य-व्यंग्यात्मक आख्यान है। सागर-मंथन से जन्मा यह दधि-व्यंजन कभी पंगत का गौरव था, तो आज बुफ़े की प्लेट के कोने में सहमा… Spread the love
क्या पापा – लोल – “लोल हो गया संवाद” डॉ मुकेश 'असीमित' September 2, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments डिजिटल युग की हंसी अब मुँह से नहीं, मोबाइल से निकलती है। पिता ‘LOL’ सुनकर असली हंसी देखना चाहते हैं, जबकि बेटा ‘BRB’, ‘ROFL’, ‘IDK’… Spread the love
काम करने वाला कोई नहीं घर में-satire-humor डॉ मुकेश 'असीमित' August 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments मरीज की असली तकलीफ़ टूटी हुई हड्डी नहीं, बल्कि टूटा हुआ घर-गृहस्थी का संतुलन है। डॉक्टर जब पक्का प्लास्टर लगाने का हुक्म सुनाता है तो… Spread the love
अफ़सर अवकाश पर है-हास्य-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 21, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments सरकारी दफ़्तरों की असलियत पर यह व्यंग्य कटाक्ष करता है—जहाँ अफ़सर तनख़्वाह तो छुट्टियों की लेते हैं, पर काम के नाम पर बहानेबाज़ी ही उनका… Spread the love