रेवड़ी की सिसकियां-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' August 2, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “रेवड़ी की सिसकियां” एक व्यंग्यात्मक संवाद है उस ‘जनकल्याणकारी नीति’ की आत्मा से, जिसे अब राजनैतिक मुफ्तखोरी की देवी बना दिया गया है। लेख में… Spread the love
आश्वासन की खेती-व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 18, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments लोकतंत्र आश्वासनों पर टिका है, जहाँ हर पार्टी का घोषणा-पत्र वादों का कठपुतली शो होता है। जनता वोट रूपी टिकट से यह खेल देखती है,… Spread the love
*नेताजी का पर्यावरण दिवस आयोजन * डॉ मुकेश 'असीमित' June 4, 2024 व्यंग रचनाएं 0 Comments नेताजी पिछले पांच साल में जब से विधायक की कुर्सी हथियाई है, तब से प्रकृति प्रेम दिखाने के जो भी तरीके हो सकते हैं वो… Spread the love