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Tag: भ्रष्टाचार

"सड़क किनारे लोकतंत्र का प्रतीक कुत्ता पूँछ हिलाते हुए बैठा है, आसपास लोग बहस में उलझे हैं—कोई कुत्ता प्रेमी, कोई सुरक्षा चिंतित माता-पिता, तो कोई नगर निगम का अधिकारी।"

आवारा कुत्तों का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना

“शहर की गलियों में लोकतंत्र आवारा कुत्ते के रूप में बैठा है। अदालत आदेश देती है, नगर निगम ठेका निकालता है, मोहल्ला समिति बहस करती…

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"कार्टून व्यंग्य चित्र: कृष्ण का बालरूप मक्खन हांडी तक हाथ बढ़ाता, और पास ही नेता, अफसर, व्यापारी माखन के बड़े-बड़े लड्डू खा रहे हैं; जनता माखन घिसते दिख रही है।"

माखन लीला-हास्य व्यंग्य रचना

कृष्ण की माखन लीला आज लोकतंत्र में रूप बदल चुकी है। जहाँ कान्हा चोरी से माखन खाते थे, वहीं आज सत्ता और समाज में सब…

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"व्यंग्यात्मक रेखाचित्र – भ्रष्टाचार को साँप-चेहरे वाले व्यक्ति के रूप में, रिश्वत को ₹2000 के नोटों की साड़ी पहने नागिन के रूप में दिखाया गया है, जो राखी बाँध रही है, और नेता नकदी के लिफ़ाफ़े लिए खड़े हैं, मंच पर ‘लोकतंत्र रक्षा बंधन पर्व’ लिखा है।"

लोकतंत्र का रक्षा बंधन पर्व-व्यंग्य रचना

रक्षा बंधन पर्व का नया संस्करण—भ्रष्टाचार और रिश्वत का भाई-बहन का पवित्र रिश्ता। सत्ता और विपक्ष दोनों पंडाल में, ₹2000 की नोटों की साड़ी पहने…

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एक व्यंग्यात्मक चित्र जिसमें एक नाग दूध के कटोरे के सामने बैठा है, आस-पास सूट-बूट पहने नेतागण नाग की पूजा कर रहे हैं और जनता टैक्स रूपी दूध से कटोरा भर रही है। पीछे पोस्टर पर लिखा है — "लोकतंत्र में नागों की जय!"

वोट से विष तक : नागों का लोकतांत्रिक सफर

यह रचना नाग पंचमी के बहाने लोकतांत्रिक व्यवस्था पर करारा व्यंग्य है। इसमें नाग रूपी नेताओं की तुलना असली साँपों से करते हुए बताया गया…

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सरकारी स्कूल की गिरी छत पर SYSTEM नामक प्रतीक चिन्ह, पास में लीपापोती ब्रांड सीमेंट का डिब्बा, और टीवी स्क्रीन से बहते आँसू

सिस्टम, सिस्टमैटिकली बच निकला है —व्यंग्य रचना

एक और सरकारी छत गिरी, मासूम मरे, सिस्टम फिर बच निकला — जैसे संविधान में इसके लिए छूट हो। सरकार की संवेदना ट्विटर और प्रेस…

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एक राजनेता कठपुतली के रूप में दिख रही जनता को संबोधित कर रहा है, जो लोकतंत्र में आश्वासनों की भूमिका को दर्शाता है।

आश्वासन की खेती-व्यंग्य रचना

लोकतंत्र आश्वासनों पर टिका है, जहाँ हर पार्टी का घोषणा-पत्र वादों का कठपुतली शो होता है। जनता वोट रूपी टिकट से यह खेल देखती है,…

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एक रंगीन मंच पर बुज़ुर्ग सेठजी, माला पहने, गाय को चारा डालते हुए दिखाए गए हैं। पीछे होर्डिंग पर लिखा है “समाजसेवी राम भरोसा जी का जन्मोत्सव।” मंच पर माइक, बैनर और भीड़ जुटाने के लिए बुलाए गए कुछ लोग बैठे हैं। एक कोने में मास्टर साहब प्रकाश डालने को तैयार हैं, जबकि मुनीम भोजन का संकेत दे रहा है।

जीवन पर प्रकाश डालिए-हास्य व्यंग्य रचना

सेठजी को अब ‘सेठ’ होने से संतोष नहीं, उन्हें ‘समाजसेवी’ भी बनना है—वो भी बिना समाज की सेवा किए! अखबार, होर्डिंग, माला और माइक की…

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A cartoon of a smug material department head sitting at his desk, flanked by two nervous employees—one with papers, one with folded hands. Piles of files and a red register dominate the table in an exaggerated bureaucratic office setting.

काश मैं सामग्री विभाग का प्रमुख होता-डॉ शैलेश

जब हम छोटे थे तो समझते थे कि सबसे ताकतवर लोग पुलिसवाले होते हैं, फिर बड़े हुए तो लगा कि मंत्री सबसे ताकतवर होते हैं।…

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