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Tag: व्यंग्य

ट्रैफिक जाम, गड्ढों भरी सड़क, निराश चेहरे, स्कूल फीस से परेशान अभिभावक और "वाह भाई वाह" का बोर्ड लिए खड़ा आम नागरिक।

वाह भाई वाह -कविता -हास्य व्यंग्य

सामाजिक विडंबनाओं पर करारा व्यंग्य करती ये कविता ‘वाह भाई वाह’ हमें उन विसंगतियों का एहसास कराती है जहाँ ज़िंदगी त्रासदी बन चुकी है, फिर…

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"किट्टी पार्टी में शामिल महिलाएं बाढ़ पीड़ितों की तस्वीरें देखकर ठहाके लगा रही हैं, जबकि खिड़की के बाहर झोपड़ी में फंसे लोग बारिश में संघर्ष कर रहे हैं।"

बाढ़ पर्यटन — जब त्रासदी तमाशा बन जाए! व्यंग्य रचना

बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लाती, संवेदनहीनता की परतें भी उघाड़ती है। “बाढ़ पर्यटन” एक ऐसी ही कड़वी सच्चाई को उजागर करती है जहाँ किट्टी पार्टी…

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हाथ में अपनी पुस्तक गिरने में क्या हर्ज़ है पकड़े हुए डॉ. मुकेश असीमित की मुस्कुराती हुई तस्वीर। पुस्तक का आवरण चित्रात्मक शैली में व्यंग्य भाव के साथ सजी है जिसमें एक राजनेता सीढ़ियों से गिरते हुए दिखाया गया है।

व्यंग्य की दुनिया में एक जागरूक आमद -पुस्तक समीक्षा -डॉ अतुल चतुर्वेदी

‘गिरने में क्या हर्ज़ है’ एक बहुआयामी व्यंग्य संग्रह है जिसमें डॉ. मुकेश असीमित ने समाज, राजनीति, शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों की विसंगतियों को…

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श्रीकृष्ण और अर्जुन का संवाद दर्शाता पारंपरिक चित्र, जिसमें पार्श्व में भयावह रिश्वत रूपी राक्षस और धन की गठरियाँ दिखाई गई हैं।

रिश्वतोपाख्यान — श्रीकृष्णार्जुन संवाद

श्रीकृष्ण अर्जुन को कलियुग की विभीषिका ‘रिश्वत’ के स्वरूप से अवगत करा रहे हैं। पार्श्व में छिपा राक्षसी रूप और धनराशि की पोटलियाँ इस भ्रष्टाचार…

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त के दृश्य में बारिश के बीच एक मंच पर झींगुर नेता भाषण दे रहे हैं, उनके सामने झींगुरों की भीड़ समर्थन में नारे लगा रही है। पीछे बैनर 'झींगुर अधिकार सम्मेलन' टंगा है, माहौल व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण है।

बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य

बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों…

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एक सूट पहना युवक लड़की देखने आया है, उसके चेहरे पर असमंजस है, सामने लड़की उदासी से चाय पकड़े खड़ी है। पीछे "Danger Ahead" जैसे बोर्ड हैं — दृश्य में हास्य और सामाजिक विडंबना झलकती है।

जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान

रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी…

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A cartoon of a smug material department head sitting at his desk, flanked by two nervous employees—one with papers, one with folded hands. Piles of files and a red register dominate the table in an exaggerated bureaucratic office setting.

काश मैं सामग्री विभाग का प्रमुख होता-डॉ शैलेश

जब हम छोटे थे तो समझते थे कि सबसे ताकतवर लोग पुलिसवाले होते हैं, फिर बड़े हुए तो लगा कि मंत्री सबसे ताकतवर होते हैं।…

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एक वृद्ध ग्रामीण व्यक्ति डॉक्टर के पैरों को छूते हुए, डॉक्टर मास्क लगाए, हाथ जोड़े सकपकाए खड़े हैं, पीछे क्लीनिक का शांत वातावरण।

श्रद्धा, सायकोसिस और स्टेथोस्कोप

मैंने अपने क्लीनिक में प्रवेश किया। कई मरीज़ विश्राम कक्ष में बैठे हुए थे। कुछ के चेहरे पर संतोष था—शायद मेरे इलाज से उन्हें लाभ…

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"A satirical cartoon depicting a rural clinic scene: villagers are describing bizarre symptoms — one says 'nas chali gayi', another 'hawa lag gayi' while holding his head, and a third, leaning on a stick, claims 'goda bol gaya'. The doctor sits confused, holding his forehead. Posters in the background read 'Vaat-Pitt-Kaph Clinic' and a board says 'No treatment for upper air here

मेडिकल का आँचलिक भाषा साहित्य – बिंब, अलंकारों, प्रतीकों से भरपूर

“डॉक्टर साहब, आपकी पढ़ाई अपनी जगह… हम तो इसे ‘नस जाना’ ही मानेंगे!” ग्रामीण चिकित्सा संवादों में हर लक्षण का एक लोकनाम है — ‘चक…

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एक युवक मोबाइल में मग्न होकर "हैप्पी मदर्स डे" लिखी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, उसके पीछे माँ रसोई में पसीने से तर-बतर होकर चूल्हे पर रोटी सेंक रही है। उसके माथे पर हल्की थकान, पर चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान। युवक की पोस्ट पर मोबाइल स्क्रीन से '999 लाइक्स' के बबल्स उछल रहे हैं, और पास ही माँ बड़बड़ा रही है – "फेसबुक से पेट भरता है क्या?" दीवार पर एक कैलेंडर टंगा है, जिसमें हर दिन 'मदर्स डे' लिखा है — बस तारीख़ बदलती है। बाजार में एक बड़ा बैनर लटक रहा है — "Buy 1 Get 1 Free – Emotionally Packaged Mother’s Day Gifts!" पीछे टीवी पर ऐंकर चिल्ला रहा है — “Emotional Sale का आखिरी दिन!”

मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी…

एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…

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