वोट का हाट बाजार-हास्य व्यंग्य रचना

Pradeep Audichya Nov 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0

भरोसीलाल ने चाय के डिस्पोज़ल कप को देखते हुए कहा — “ये चाय है चुनाव और कप है जनता, चुनाव खत्म तो जनता कचरे में!” चुनाव के मौसम में बिजली ओवरटाइम करती है, सड़कें अचानक स्वस्थ हो जाती हैं, और नेता जनता की “कीमत” लगाते हुए मंडी में उतर आते हैं। वोट की कीमत कभी दस हज़ार, कभी तीस हज़ार, तो कभी एक साड़ी और पेय पदार्थ में तय होती है। भरोसीलाल का निष्कर्ष था — “इससे बढ़िया हाट बाजार तो कोई हो ही नहीं सकता!”

दिव्यांग आम-व्यंग रचना -डॉ मुकेश गर्ग

डॉ मुकेश 'असीमित' May 26, 2024 व्यंग रचनाएं 0

“आम का एक प्रकार है लंगड़ा आम। जब सरकार ने लंगड़ा शब्द को डिक्शनरी से हटा दिया और दिव्यांग शब्द जोड़ दिया, तो फिर आम को भला लंगड़ा कैसे पुकार सकते हैं, यह तो सरासर उसके साथ अन्याय है। इसलिए मैंने दिव्यांग आम कहना शुरू कर दिया है, क्या पता कब मेरे लंगडा आम कहने […]