बुरा जो देखन मैं चला-व्यंग्य रचना Vivek Ranjan Shreevastav September 24, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments आज का समाज मुखौटों के महाकुंभ में उलझा है—जहाँ असली चेहरा धूल खाते आईने में छिपा रह गया और नकली मुस्कान वाले मुखौटे बिकाऊ वस्तु… Spread the love