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Tag: satire

“व्यंग्य चित्र: मंच पर लेखक को ओढ़ाई जा रही शॉल, पास में सोहन पापड़ी और श्रीफल। आयोजक कैमरे से फोटो खींचते हुए, पीछे शॉल का ‘Recycle Zone’। यह दृश्य साहित्यिक आयोजनों में शॉल और सोहन पापड़ी की अंतहीन यात्रा पर कटाक्ष करता है।”

लेखक, शॉल और सोहन पापड़ी-व्यंग्य रचना

लेखक और शॉल का रिश्ता उतना ही अटूट है जितना संसद और हंगामे का। शॉल ओढ़े बिना लेखक अधूरा, और सोहन पापड़ी के डिब्बे के…

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A satirical line-art cartoon of an Indian paan shop, with walls stained red by spit, people from all walks of life—leaders, poets, and locals—chewing paan while gossiping, symbolizing how paan defines culture, politics, and social life.

पान-दर्शन शास्त्र-हास्य व्यंग्य रचना

पान हमारी सभ्यता का ऐसा रस है जिसने गली-कूचों को संसद बना दिया। दीवारों पर मुफ्त “पीक आर्ट,” नेताओं के वादों में कत्था-चूना और जनता…

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बारिश में रेनकोट पहने डिलीवरी राइडर रात की सड़क पर बाइक लिए खड़ा है; मोबाइल स्क्रीन पर मैप और एक पेंडिंग ऑर्डर दिख रहा है। पीछे धुंधली शहर की लाइटें, हेलमेट पर पानी की बूंदें—चेहरे पर थकान और जिद, मानो अगली रेटिंग ही कल का राशन तय करेगी।

ब्लडी रेटिंग्स ‘Zwigato’ में गिग वर्ल्ड की सच्चाई

‘Zwigato’ एक गिग-इकॉनॉमी राइडर की रोज़मर्रा की जद्दोजहद का सधी हुई, मानवीय चित्रपट है—जहाँ ऐप का एल्गोरिदम नई फैक्ट्री है, रेटिंग नया ठप्पा, और बारिश…

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A humorous caricature of India’s evolving walls—scribbled childhood chalk drawings, political posters, advertisements, pan stains, and finally transforming into a giant Facebook wall full of posts and memes, symbolizing how expression migrated from real walls to digital ones.

दीवारों का कैनवास और-दीवारें फिर बोल उठी -हास्य व्यंग्य रचना

“दीवारों का कैनवास और-दीवारें फिर बोल उठी  बचपन में ले चलता हूँ… क्या करूँ, सारी मीठी यादें तो बचपन के पिटारे में ही रह गईं।…

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"एक कार्टून कैरिकेचर दृश्य: डॉक्टर सफेद कोट में जज की तरह हथौड़ा मारकर मरीज को पक्का प्लास्टर लगाने की सज़ा सुना रहा है। मरीज पैर पर मोटा प्लास्टर लिए खड़ा है, परिवार वाले पोस्टर लिए विरोध कर रहे हैं–'घर में काम कौन करेगा?' पास में बोर्ड टंगा है–‘डॉ. प्लास्टरलाल एंड कम्पनी: बेसिक, गोल्डन, प्रीमियम पैकेज उपलब्ध।’ दृश्य व्यंग्यात्मक और हास्यपूर्ण।"

काम करने वाला कोई नहीं घर में-satire-humor

मरीज की असली तकलीफ़ टूटी हुई हड्डी नहीं, बल्कि टूटा हुआ घर-गृहस्थी का संतुलन है। डॉक्टर जब पक्का प्लास्टर लगाने का हुक्म सुनाता है तो…

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"A satirical cartoon of a frightened groom on his wedding stage, looking like a prisoner about to be executed, while relatives enjoy the show and the bride smiles proudly."

आ गए मेरी शादी का तमाशा देखने!-हास्य व्यंग्य रचना

“आ गए मेरी शादी का तमाशा देखने! नाना पाटेकर की झुंझलाहट, दूल्हे का डर और रिश्तेदारों की हंसी—पूरा दृश्य किसी फिल्मी फाँसी के सीन जैसा…

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एक व्यंग्यात्मक कार्टून रेखाचित्र: खाट पर लेटा हुआ मोटा-सा आदमी पेट बाहर निकला हुआ, कम्बल ओढ़े मुस्कुराता हुआ। बगल में चश्मा पहने बब्बन चाचा खड़े हैं, हाथ में लाठी लेकर उसे डाँटते हुए—“कुछ काम करो!”। दीवार पर लिखा है: “आराम ही धर्म है”.

आराम करो –आराम में ही राम बसा है-हास्य-व्यंग्य

भागम-भाग की ज़िंदगी का असली गणित है—भाग को भाग दो, और उत्तर आएगा ‘आराम’। खाट पर लेटना, कम्बल में दुनिया की फिक्र लपेटना ही असली…

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