आवारा कुत्तों का लोकतंत्र-व्यंग्य रचना Vivek Ranjan Shreevastav August 16, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments “शहर की गलियों में लोकतंत्र आवारा कुत्ते के रूप में बैठा है। अदालत आदेश देती है, नगर निगम ठेका निकालता है, मोहल्ला समिति बहस करती… Spread the love