Login    |    Register
Menu Close

Tag: हृदयस्पर्शी व्यंग्य

एक युवक मोबाइल में मग्न होकर "हैप्पी मदर्स डे" लिखी सेल्फी सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहा है, उसके पीछे माँ रसोई में पसीने से तर-बतर होकर चूल्हे पर रोटी सेंक रही है। उसके माथे पर हल्की थकान, पर चेहरे पर वही स्थायी मुस्कान। युवक की पोस्ट पर मोबाइल स्क्रीन से '999 लाइक्स' के बबल्स उछल रहे हैं, और पास ही माँ बड़बड़ा रही है – "फेसबुक से पेट भरता है क्या?" दीवार पर एक कैलेंडर टंगा है, जिसमें हर दिन 'मदर्स डे' लिखा है — बस तारीख़ बदलती है। बाजार में एक बड़ा बैनर लटक रहा है — "Buy 1 Get 1 Free – Emotionally Packaged Mother’s Day Gifts!" पीछे टीवी पर ऐंकर चिल्ला रहा है — “Emotional Sale का आखिरी दिन!”

मदर्स डे –एक दिन की चांदनी फिर अँधेरी…

एक तीखा हास्य-व्यंग्य जो दिखावे के मदर्स डे और असल माँ के संघर्षों के बीच की खाई को उजागर करता है। सोशल मीडिया की चमक…