“भ्रष्टाचार” हिंदी कविता

कविता शीर्षक भ्रष्टाचार आज इस व्यापक महामारी जो की कोरोना रुपी महामारी से भी भयानक इस संसार में व्याप्त है,को इंगित करती है.

“भ्रष्टाचार”
कुण्डली 8चरण

भ्रष्टाचारी माफिया,गुण्डे तष्कर चोर,
नाम राष्ट्र निर्माण,के मचा रहे वो शोर,

मचा रहे वो शोर,राष्ट्र निर्माण को लेकर,
कर जन्ता गुमराह,चले ईमान बेचकर,

आफिस या स्टेशन,रेट सव जगह फिक्स है,
रिस्वत ले ईमान,फिर का हे की रिस्क है,

“प्रेमी”जायें जेल ,वो जिनके शुद्ध विचार,
भांग कुएं में घुली,जब फैला भ्रष्टाचार।

रचियता- महादेव प्रेमी

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Mahadev Prashad Premi

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी…

साहित्यिक नाम-महादेव प्रेमी जन्म स्थान-ग्राम परीता स्थाई पता- संजय कालोनी गर्ग होस्पीटल गंगापुर सिटी ,स0 मा0 (राज0)322201 मोबाईल 9667627720 संप्रति:चिकित्सा कर्मी कार्य क्षेत्र:चिकित्सा कार्य लेखन विधा-गजल,गीत,कविता और पहेली लेखन आदि प्रकाशन:(1)”बूझोबल” पहेली संग्रह प्राप्त सम्मान:कई सामाजिक व साहित्यिक सम्मान प्राप्त लेखनी उद्देश:सामाजिक विसंगतियों पर लिखना प्रेरणा पुञ्ज:स्वयम एवम अन्य लेखक रुचियां: साहित्य लेखन/अध्यापन

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