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शीर्षकहीन हिंदी कविता -डा संजय जैन रचित

sheershkheen hindi kavita

Many situations,
One description.
Interpretation is all yours.

उन शोलों से बचकर रहना,
राख जिन्होंने ओढी है,
छुओगे तो जल जाओगे,
वो आग थाम कर बैठे हैं.

होठों पे ना जुंबिश है,
मौन बड़ा ही गहरा है,
खामोशी इक साजिश है
कोई बात थाम कर बैठे है.

दामन मे कई ,दाग है जिनके,
है गहरे काले मंसूबे,
सूरज से डरते हैं वो,
रात थाम कर बैठे हैं.

है बैचेनी सी मंजर मे,
बडा विकट सन्नाटा है,
कब किसपे कोई गाज गिरे,
सब सांस थाम कर बैठे हैं.

दूर वहाँ कुछ लोग हैं जो,
दोस्त हैं या दुश्मन हैं वो,
वहशीपन है आंखों मे,
पर हाथ थाम कर बैठे हैं.

Written by Dr Sanjay Jain

अंतरात्मा का संवाद -हिंदी कविता डा. संजय जैन द्वारा रचित
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