Login    |    Register
Menu Close

अंतरात्मा का संवाद -हिंदी कविता डा. संजय जैन द्वारा रचित

हिंदी कविता अंतरात्मा से संवाद

This poem is a conversation between man & his long lost
Conscience.(अंर्तआत्मा)

मेरी तुम से पहचान नही,
ना ही कोई नाता.
गर पता तुम बतला देती,
मै तुमसे मिलने आ जाता.

अंर्तआत्मा अश्रु भरी आंखों से बोली..

राह मेरी तो बडी सरल थी,
नजर साफ मैं आती थी.
पर तुमने कितने जाल बिछाये,
सौ-सौ गलियां, कई चौराहे,
कैसे ढूंढ मुझे तुम पाओगे.
रस्ते मे खो जाओगे.

तुमने मुझे कब देखा था
कैसे तुम पहचानोगे,
मेरी आवाज से भी
अंजान हो तुम,
कैसे मुझको जानोगे.

स्वर्ण मृग के पीछे जाकर
अपना सब कुछ खो आए
बहुत पुकारा था मैंने तो,
पर आवाज मेरी ना सुन पाये.

लाख कचोटा था,तुमको पर
ना तुम पर कोई असर हुआ.
अंधे,गूंगे, बहरे बनकर
सारा जीवन बसर हुआ.

जीवन की इस संध्या मे
मुझ पर ना अहसान करो.
जैसे जीते, आये अब तक
आगे भी उस राह चलो.

अफसोस मुझे, कभी नींद से
तुम्हें जगा मै ना पाई.
जीवन भर साथ रही पर
काम तुम्हारे ना आई.

डा. संजय जैन

2 Comments

  1. Pingback:शीर्षकहीन हिंदी कविता -डा संजय जैन रचित - Baat Apne Desh Ki

  2. Pingback:Daughter-The greatest blessing on the Earth - Baat Apne Desh Ki

Leave a Reply