Login    |    Register
Menu Close

“मिटा कभी कोई ” हिंदी कविता महादेब “प्रेमी “द्वारा रचित

mita kabhi koi hindi kavita

मेरी कविता “मिटा कभी कोई” व्यक्ति के सहस और विवेक की बात करती है की कैसे एक व्यक्ति सहस और विवेक से साधन हीन होते हुए भी कर्मशील बन जाता है और जीवन में सफल हो सकता है.

“मिटा कभी कोई”(कुण्डली 8चरण)

मिटा कभी कोई नहीं,जो साधन से हीन,
मिटता वह संसार से,जो साहस से दीन,

जो साहस से दीन,ना सूझे कोई धंदा,
शुरू करै कोई काम,लगे फंदा ही फंदा,

साहस विन साधन,भी कोइ काम न आवे,
हो जाये बेकार,कोई भी जुगत लगावें,

“प्रेमी” साहस कर्म, बने तव ही सव कोई,
साधन हीन विवेक,नही मिटा कभी कोई ।

रचियता -महादेव प्रेमी

अगर आप पहेली बुझने में रूचि रखते है तो मेरी पुस्तक “बुझोबल “जरूर पढ़े. यह पुस्तक आपको ऑनलाइन आर्डर पर मिल जाएगी. पुस्तक का मूल्य है केवल 199 रु.

आप पुतक के कुछ अंश और वर्णन इस ब्लॉग में देख सकते है

Spread the love

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *