ये बारिश की बूंदे-हिंदी कविता

ये बारिश की बूंदे जला रही मेरा मन ,

अब तक नहीं आए मिलने , मेरे सजन।

फिर जवां हो गए ये पेड़ ये,पत्ते सारे,

उनसे मिलने आ गए हैं, बूंदे बने तारे ,

अब तक नहीं आए मिलने, मेरे सजन।

ये बारिश की बूंदे जला रही मेरा मन ।

बादल इन्द्रधनुष का सेहरा सजा रहा ,

बादल आसमान को ,धरती से मिला रहा ,

अब तक नहीं आए मिलने, मेरे सजन ।

ये बारिश की बूंदे जला रही मेरा मन ।

बगिया भी फूलो की खुशबू से भर गई ,

जो अपने प्रेमी भंवरे से, आज मिल गई,

अब तक नहीं आए मिलने, मेरे सजन ।

ये बारिश की बूंदे जला रही मेरा मन ।

ये जहरीली बूंदे मुझपे जो पड़ रही है ,

मेरी आंखों से ,जमीन पर उतर रही है ,

फिर भी नहीं आए मिलने, मेरे सजन ।

ये बारिश की बूंदे जला रही मेरा मन ।

~विद्या पोखरियाल स्वरचित रचना ✍️

बैकुंठपुर छत्तीसगढ़

Vidya Dubey

विद्या पोखरियाल ✍️ बैकुंठपुर छत्तीसगढ़

विद्या पोखरियाल ✍️ बैकुंठपुर छत्तीसगढ़

Comments ( 2)

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Vidya Dubey

5 months ago

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय 🙏

डॉ मुकेश 'असीमित'

5 months ago

bahut hee shandaar kavitaa aapki