मूषक राज स्तुति
आज गणेश चतुर्थी के अवसर पर विध्नहर्ता गणेश जी की स्तुति तो सभी करते ही हैं,उनके वाहन मूषकराज की भी स्तुति अत्यावश्यक है ! एक स्तुति गान मैंने वक्रतुण्डाय गणाधिपति से खैरात में मिली बुद्धी से सृजित की है,अगर पसंद आये तो कृपया अपने लायक ,कमेंट ,शेयर के मोदक मुझ खाकसार को प्रदान करें !
हे मूषक नाथ, तुम्हारी महिमा अपरम्पार है, क्योंकि तुम विनाश के साथ निर्माण का भी पाठ पढ़ाते हो। हम सब मिलकर आपकी चरण वंदना करें और राजनीति की रणभूमि में आपके जैसा दृष्टिकोण अपनाएँ। हे महान मूषक राज, तुम सूक्ष्म योद्धा, धर्म की गलियों में तुम्हारी दौड़ निराली है। जहाँ गणपति विघ्नहर्ता, तुम विघ्नसंहर्ता, तुम्हारी विनम्रता में भी विराट शक्ति समाई है। आज के ताने-बाने में तुम्हारा महत्व अनुपम,विशाल ,सार्वभौमिक और गणेश जी से कहीं कम नहीं है ।
ओ महामना मूषक महाराज! – आपके आगे तो बड़े-बड़े विघ्न भी पानी भरने लगते हैं ।
हे गणपति के गणवीर बाहुबली मूषकराज! जब तुम चपल चाल से चलते हो, चिक्करहिं दिग्गज डोल महि गिरि लोल सागर खरभरे जैसी धूम मचाते हो। जगत विध्नहर्ता, जिन्हें हम पुकारते हैं , वे तुम्हें पुकारते न थकते। विघ्नहर्ता तो बस नाम के, असली काम तो तुम्हारे इन तीक्ष्ण,शूल,अग्र यां ,धारित्र दाँतों से होता है।
हे निराले चतुर नायक! तुम अपनी छोटी-सी दुनिया में सब कुछ संभाले रहते हो। जहां गणेश जी ने एक विघ्न नाश किया, वहां तुमने दस उपाय सुझाए। हमारे यहाँ राजनेता तो सिर्फ वादों की माला जपते हैं, पर तुम बिना किसी शोर के अपना कार्य अनवरत करते जाते हो।
ओह मूषक महाराज, ओ कालचक्र के कमांडर ! आज कल के लोकतंत्र में जहां एक तरफ दिखावे की राजनीति हावी है, वहाँ तुम बिना किसी लाग-लपेट के अपने कर्तव्य को निभाते हो। सांसदों की भाग-दौड़ से ज्यादा तो तुम्हारे चतुष्पाद बिना कोई गदा शंख चक्र धारण किये ही अपने काम को बखूबी अंजाम दिए रहते है।
हे विद्वान वाहन! जब भी विश्व की दिशाएँ भ्रमित होती हैं, तब तुम अपने तेज तरारी मार्गदर्शी अंखियों से सबको सही मार्ग दिखलाते हो। बड़े-बड़े पंडित जहाँ शास्त्रार्थ में उलझे रहते हैं, वहीं तुम मूक मूषक भाव से सबकी सहायता करते हो।
हे मूषक राज, तुम न केवल गणेश की सवारी हो, बल्कि आज की दुनिया के संवाहक भी। राजनीति की अँधेरी गुफाओं में तुम्हारी दौड़ से सच की रोशनी विकीर्त्नित है।
हे कृतज्ञता के मूर्तिमंत स्वरूप! तुम्हें प्रणाम जो बिना रुके, बिना थके, सदैव अपने कर्तव्य पथ पर अग्रसर रहते हो। जब गणेश जी एक विघ्न को दूर करते हैं, तो तुम उससे पहले ही दस विघ्नों को चट कर जाते हो।
हे मूषक राज !अखंड भूमिपाल! जब आज की भीड़ में सच की मशाल थामे कोई नहीं दिखता, तब तुम्हारी चपलता और चतुराई से सच को राह दिखाते हो। तुम्हारी यह विशिष्टता हमें सिखाती है कि सत्य के पथ पर चलने के लिए बड़े होने की नहीं, बड़ा दिल होने की जरूरत है।
ओ मूषकराज, तुम्हारी इस अद्वितीय भूमिका के लिए हम कृतज्ञ हैं। तुम्हारी स्तुति में हम अपने शब्द अर्पित करते हैं, न केवल गणेश जी के वाहन के रूप में बल्कि एक यथार्थवादी, सजग प्रहरी के रूप में भी। तुम्हारा योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि खुद गणेश जी का।
अतएव हे मूषकराज, हे विघ्नेश्वरस्य यथार्थ सखे, अद्य च सर्वदा, त्वां प्रणमामहे।

✍ लेखक, 📷 फ़ोटोग्राफ़र, 🩺 चिकित्सक
YouTube Channel: Dr Mukesh Aseemit – Vyangya Vatika
📲 WhatsApp Channel – डॉ मुकेश असीमित 🔔
📘 Facebook Page – Dr Mukesh Aseemit 👍
📸 Instagram Page – Mukesh Garg | The Focus Unlimited 🌟
💼 LinkedIn – Dr Mukesh Garg 🧑⚕️
🐦 X (Twitter) – Dr Mukesh Aseemit

मेरी व्यंग्यात्मक पुस्तकें खरीदने के लिए लिंक पर क्लिक करें – “Girne Mein Kya Harz Hai” और “Roses and Thorns”
Notion Press –Roses and Thorns