मैने सीख लिया है जीना-कविता

मैने सीख लिया है जीना ,

दबाकर ,सारी वेदना ।

अपनों के ढाए कहरों को ,

लोगों के उगलते जहरों को

मैने सीख लिया है पीना ।

चेहरे पे मुस्कान सजाए ,

कितनी गहरी पीर छुपाए ,

मैने सीख लिया दर्द सीना ।

हर जख्म को अपना कर ,

हर पल में मुस्कुरा कर,

मैने सीख लिया है हंसना ।

न कोई अब ग़म सताए ,

न कोई अब राह भटकाए,

मैने सीख लिया बढ़ना ।

किसी से नहीं शिकायत है ,

खुद से मिली जो राहत है ,

मैने सीख लिया है जीना

Rachnakaar -Vidya Pkhariyal

Vidya Dubey

विद्या पोखरियाल ✍️ बैकुंठपुर छत्तीसगढ़

विद्या पोखरियाल ✍️ बैकुंठपुर छत्तीसगढ़

Comments ( 2)

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Vidya Dubey

4 months ago

आभार आपका आदरणीय 🙏

डॉ मुकेश 'असीमित'

4 months ago

achchee kavita