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प्रेमी की कुण्डलियाँ -Premi ki kundaliyan

  • सामाजिक और राजनीतिक चेतना : आरक्षण, घोटाला, राजनीति
  • हास्य-व्यंग्य : समोसे, आलू के परांठे, डिग्रियाँ
  • प्रकृति और ऋतु : वर्षा, हरियाली, सवेरा
  • धार्मिक और नैतिक भावभूमि : गणपति वंदना, माँ का मंदिर, चलना सच की राह

डिग्रियां ढ़ेरों पड़ी, योग्यता भरपूर,
चेहरे पर मुस्कान है, अंदर दिल अमचूर।
अंदर दिल अमचूर, युवा हर परेशान है,
आरक्षण इस देश में, बन आया शैतान है,
प्रेमीअब युवाओं की मुश्किल में है जिंदगियां,
नौकरी दिखती नहीं, ढ़ेरों पड़ी ये डिग्रियां।

इसी प्रकार हास्य-रस से भरपूर उनकी समोसे शीर्षक कुण्डली देखें—

समोसे को देखकर, कचौरी इतराय,
पकौड़ी के संग में जलेबी मिल जाए।
मिले जलेबी संग, पकौड़ी मिर्च मसाला,
खट्टी-मीठी चटनी के संग खाओ लाला,
प्रेमीकोई नमकीन बनी ना बने हैं डोसे,
कोई होड़ कर नहीं इनकी, वाह रे वाह समोसे।


✍️ यह संग्रह पाठकों को समर्पित है, ताकि वे इन कुण्डलियों के माध्यम से न केवल आनंद प्राप्त करें, बल्कि जीवन और समाज की सच्चाइयों से भी परिचित हो सकें।

Mahadev Garg Premi
Mahadev Garg “Premi”

Mobile number-+918619811757

Copyright-Mahadev Premi

“प्रेमी की कुण्डलियाँ” महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ द्वारा रचित एक अनूठा हिंदी काव्य संग्रह है, जो अब Amazon पर पेपरबैक संस्करण में ₹150 में उपलब्ध है।
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