सुबह उठते ही अगर घुटनों में खड़खड़ाहट सुनाई दे, सीढ़ियाँ चढ़ते वक्त जोड़ों में कराह उठे, या हाथों की अंगुलियाँ अपने मन की न चलें — तो यह महज़ उम्र का असर नहीं, बल्कि शरीर का मौन संदेश है कि “अब ध्यान दो!”
आज, 12 अक्टूबर — विश्व आर्थराइटिस दिवस, का उद्देश्य इसी चेतावनी को सुनना और समझना है। यह दिन दुनिया भर में उन करोड़ों लोगों को याद दिलाने के लिए मनाया जाता है जो चुपचाप जोड़ों के दर्द के साथ जी रहे हैं — और उन डॉक्टरों को भी जो रोज़ इस पीड़ा को कम करने के लिए प्रयासरत हैं।
🌿 क्या है आर्थराइटिस?
‘आर्थराइटिस’ — नाम भले अंग्रेज़ी लगे, पर दर्द बिल्कुल देसी है।
‘Arthro’ यानी जोड़, और ‘itis’ यानी सूजन।
सीधे शब्दों में कहें तो — किसी भी जोड़ के भीतर सूजन, दर्द और अकड़न की स्थिति ही आर्थराइटिस कहलाती है। इसे आम बोलचाल में संधिवात, गठिया, वातरोग या “जोड़ों का घिसना” भी कहा जाता है।
दुनिया भर में इसके 200 से अधिक प्रकार पाए जाते हैं, पर भारत में चार मुख्य रूप सबसे आम हैं —
- Osteoarthritis (घिसे जोड़) – उम्र, मोटापे और मेहनती जीवनशैली का तोहफा।
- Rheumatoid Arthritis – शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली खुद अपने जोड़ो पर हमला कर बैठती है।
- Gout (गठिया) – जब शरीर में यूरिक एसिड बढ़ जाता है और क्रिस्टल बनकर जोड़ो में जमा होने लगता है।
- Post-Traumatic Arthritis – चोट या फ्रैक्चर के बाद जोड़ में धीरे-धीरे विकसित होता है।
🔍 लक्षण जो अनदेखे नहीं करने चाहिए
आर्थराइटिस कभी अचानक नहीं आता, बल्कि धीरे-धीरे शरीर की चाल बदल देता है।
- सुबह उठते समय जोड़ों में अकड़न या जकड़न,
- चलने-फिरने या सीढ़ियाँ चढ़ने में दर्द,
- जोड़ के आसपास सूजन या गर्माहट,
- या फिर हाथ-पैरों में टेढ़ापन या विकृति —
ये सभी संकेत हैं कि जोड़ अंदर ही अंदर मदद के लिए पुकार रहे हैं।
यही वह समय होता है जब डॉक्टर से मिलना चाहिए — क्योंकि शुरुआती अवस्था में इलाज आसान और प्रभावी होता है।
🧪 जाँच और पहचान
सही निदान ही सही इलाज की पहली सीढ़ी है।
आर्थराइटिस की पुष्टि के लिए शारीरिक परीक्षण के साथ खून की जाँच, एक्स-रे, एमआरआई, या सीटी स्कैन कराए जाते हैं। इनसे यह पता चलता है कि कौन सा जोड़ प्रभावित है, कितनी सूजन है, और बीमारी किस स्तर पर है —
- प्रारंभिक अवस्था में दवाई, कसरत और फिजियोथैरेपी ही काफी होती है।
- जबकि उन्नत अवस्था में इंजेक्शन, आर्थ्रोस्कोपी या जॉइंट रिप्लेसमेंट की आवश्यकता पड़ सकती है।
💊 इलाज: दर्द नहीं, समाधान
पहले आर्थराइटिस को “लाइलाज” समझा जाता था, पर आज चिकित्सा विज्ञान ने बहुत प्रगति कर ली है।
अब हमारे पास हैं —
- Disease Modifying Drugs, जो रोग की गति को रोकती हैं,
- Anti-Inflammatory Medicines, जो सूजन घटाती हैं,
- और Regenerative Therapies, जो जोड़ो के कार्टिलेज को नया जीवन देती हैं।
साथ ही, हेल्दी डाइट, वजन नियंत्रण, नियमित योग और वॉक को जीवन का हिस्सा बनाकर हम न केवल दर्द घटा सकते हैं, बल्कि लंबे समय तक सक्रिय रह सकते हैं।
⚙️ सर्जरी — जब जोड़ थक जाए
कभी-कभी आर्थराइटिस इतनी बढ़ जाती है कि जोड़ पूरी तरह घिस जाता है।
ऐसे में जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी एक वरदान साबित होती है। आज यह सर्जरी 97–98% तक सफल है और लाखों मरीज इससे पुनः सामान्य जीवन जी रहे हैं — बिना दर्द, बिना लाठी, और बिना सीमाओं के।
💡 संदेश यही — “चलते रहो, थकना नहीं”
आर्थराइटिस किसी भी उम्र का अपशकुन नहीं, बल्कि जीवनशैली का संकेत है।
समय रहते अगर हम अपने जोड़ो से संवाद करना सीख लें —
तो जीवन के हर मोड़ पर फिट, फ्लेक्सिबल और फुर्तीले बने रह सकते हैं।
इस विश्व आर्थराइटिस दिवस पर बस इतना याद रखिए —
जोड़ बोलते नहीं, बस जताते हैं।
अगर वो दर्द से कुछ कहना चाहें, तो सुनिए — और सही डॉक्टर से सलाह लीजिए।
स्टे हेल्दी, स्टे मोबाइल, स्टे ह्यूमन!

— डॉ. मुकेश ‘असीमित’
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