बहती प्रकाश की ओर अगर है जिंदगी!
अंधेरों से उजालों तक सफर है जिंदगी!
हौसलों की किरण-डोर कहीं टूट ना जाए!
यह जागरूकता चिंतन-फिकर है जिंदगी!!
जीवन-हल मिलता चिंतन-सवालों में!
ज्ञान भर-भर आता हृदय के प्यालों में!
सिकंदर अंत तक रहा घने अंधेरों में!
लेकिन मरा खाली-हाथ के उजालों में!!
जातिवाद घनघोर अंधेरी काली घाटी है!
उजालों ने सदाशयता एकता ही हमेशा बांटी है!
बुझने वाले हैं अलगाववादी फड़फड़ाते दीये!
प्रकाश है सनातन, महान संस्कृति परिपाटी है!
दीप सारे हैं घर-घर उजालों के लिए!
चांद तारे हैं रात भर उजालों के लिए!
विश्व हेतु सूरज प्रकाशित रहता निरंतर!
मन-उजियारे हैं जीवन उजालों के लिए!!
दीया बुझने का परिणाम जानता है!
प्राण-लौ तक अपना काम जानता है!
कर्तव्यनिष्ठ निश्चिंत रहता अंत तक!
होगा नवदीप का इंतजाम जानता है!!
जो प्रकाश के पक्ष में हैं!
आत्म-आनंद कक्ष में हैं!
अंधकार की करें वकालत!
बेचारे अपने ही विपक्ष में हैं!!
सावधानी है जरूरी ना मुखर कदापि तम रहे!
भावभीना सहज सुहाना उजियारों का मौसम रहे!
जीवन में स्वाभाविक है आवश्यकता प्रकाश की!
दीपावली के बाद भी मन-दीपावली कायम रहे!!
शुभ प्रकाश शुभ विकास,शुभ पृथ्वी शुभ आकाश!
शुभ चेतना शुभ भावना,शुभ कामना शुभ विश्वास!
शुभ दीप शुभ रीत,शुभ ज्योति शुभ आभास!
शुभ जीवन शुभ प्राण,शुभ कर्म शुभ श्वास!!
शील योग्यता प्रतिभा प्रकाश है!
मानवता नैतिकता की आभा प्रकाश है!
आजीवन इमानदारी का खुद से वादा प्रकाश है!
देशभक्ति भाव,जनसेवा का नेक इरादा प्रकाश है!!
- प्रहलाद श्रीमाली