हम खिलाड़ी तो कच्चे हैं
मन से बिल्कुल बच्चे हैं!
पर हमारे पड़ोसी सच्चे हैं
कहते आप तो अच्छे हैं!
हमसे हर ओर उजाले हैं
क्योंकि हम दिलवाले हैं!
मुग्ध करती हमारे कला
चाहते करते सबका भला!
अपना नहीं कोई सानी है
हमारे दिल में दादी-नानी है!
मेहनत से ना घबराते हैं
हम निंदिया को सुलाते हैं!
कुदरत से रिश्ते नाते हैं!
ऊंचे पर्वत हमें बुलाते हैं!
लोगों को हम पर विश्वास
राजनीति नहीं हमारे पास!
मित्रता हमारी न्यारी है !
अपनी दुश्मन से भी यारी है!
प्रेम हमारा जीवन सार
प्रकृति से करते हैं प्यार!
दूसरों के काम आते हैं !
दिल नहीं दीप जलाते हैं!
चेहरे पर कोई चेहरा नहीं!
जो हैं, हम हूबहू हैं वही !
हमसे है लोकतंत्र की शान
योग्य पात्र को करते मतदान!
रखते नहीं अंधा स्वारथ
पढ़ते रामायण महाभारत!
सनातनी हैं संस्कारी हैं
हम प्रकाश के पुजारी हैं!
कभी कहीं ठोकर ना खाएं
चलो सावधान हो जाएं!
आवश्यक योग्यता लाएं
कदापि दावे झूठे ना हो पाएं!
अपनी प्रशंसा की भरमार
अनुपम यह आत्म-उपहार!
तुकबंदी भरे ये प्रिय उद्गार
सुखद लगें तो हो स्वीकार!!
Prahalad Shrimali
Dec 26, 2025
Hindi poems
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