बैरागी बन म्है फिरा,
धरिया झूठा वेश जगत करै म्होरी चाकरी,
क्है म्हानें दरवेश क्है म्हानें दरवेश,
बड़ा ठिकाणा ठाया गाड़ी घोड़ा बांध,
जीव रा बंधन बाध्या कह जोशी कवि राम,
तपस्या कुण रे करणी मची संतों में होड़,
पाप री खाडो भरणी (मची संतों में होड़, भक्त री लछमी हरणी।)
