आखिर कब तक ढूढ़े मां-Poem

आखिर कब तक ढूढ़े मां

खुशियों की वजह

मन को तेरे रंग में रंगना होगा

तुम्ही हो मुस्कुराने की वजह भी

यही चोला भी पहनना होगा

कब तलक तुम्हारा इंतजार करूँ मां

वक़्त का क्या एतबार करूँ मां

खुद ही आगे चलकर

रास्ता भी नया चुनना होगा

तेरे एहसास के साये में आगे बढ़कर

सपना भी नया बुनना होगा

न जानें ये पलके कब सूख गई

मां तुझे याद करते करते

न जाने तेरा आँचल नम कब हुआ

तेरी गोदी में सर रखे हुए

मां बहुत याद आती हो

सिसकती करवटों में

अनकही बातों में जो

न कह पाई आंखे तुमसे

आंसू जो रुकते नहीं

बेचैनी कम होती नहीं

मन बेकरार रहता है

क्या कहूं, क्यो कहूँ , मां

अब तेरा ही इंतजार रहता है

अर्च्नाकार -ममता अवधिया

Mamta Avadhiya

Content Writer at Baat Apne Desh Ki

Mamta Avadhiya is a passionate writer who shares insights and knowledge about various topics on Baat Apne Desh Ki.

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