आतंक वाद।
आतंक वाद से पीडित,ज्यादा भारत देश,
इसी देश की संस्कृति,देती हर संदेश,
देती हर संदेश,और हर सुविधा देते,
जिस थाली में खांय,उसे छेदों से भरते,
“प्रेमी”लव जेहाद से,वहुत हुए अपराध,
धर्म कर्म विचलित,करे तो ये है आतंक वाद।
आतंकवाद कविता -रचियता महादेव प्रेमी
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