लोकतंत्र की गाड़ी चल पड़ी, पम पम पम!

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 7, 2025 Blogs 0

लोकतंत्र की गाड़ी पम-पम-पम करती आगे बढ़ रही है—टायरों में हवा नहीं, पर वादों की फुलावट है। ड्राइवर बूढ़ा है पर जीपीएस नया, जो सिर्फ उसी की सुनता है। जनता सीट बेल्ट बाँधकर सफ़र का आनंद ले रही है—मंज़िल का सपना है ‘2047 का भारत’। इंजन पुराने भाषणों से गरम है, और भोंपू झूठे वादों का गान गा रहा है।

योग और सेवा का संगम : लायंस क्लब सार्थक का सेवांकुर ध्यान योग शिविर

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 7, 2025 News and Events 0

लायंस क्लब सार्थक द्वारा सेवांकुर सेवा सप्ताह के अंतर्गत नेहरू पार्क, गंगापुर सिटी में ध्यान योग शिविर का आयोजन किया गया। सुबह की ताजी हवा में सदस्यों ने योगासन, प्राणायाम और ध्यान किया। “ॐ” के उच्चारण के साथ शांति और सेवा का संदेश पूरे वातावरण में गूंज उठा। यह आयोजन सेवा, साधना और स्वास्थ्य का सुंदर संगम रहा।

लायंस क्लब सार्थक का ‘पशु–पक्षी सेवा दिवस’: करुणा, संवेदना और सेवा का जीवंत उत्सव

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 6, 2025 News and Events 0

लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3233E-1 के “सेवांकुर सेवा सप्ताह” के तहत लायंस क्लब सार्थक ने पशु-पक्षी सेवा दिवस मनाया। गायों को चारा, बंदरों को केले और पक्षियों को चुग्गा खिलाकर सदस्यों ने जीवों के प्रति करुणा और संवेदना का संदेश दिया। इस अवसर पर कई गणमान्य लायंस सदस्य उपस्थित रहे और सभी ने सेवा को संस्कार बनाने का संकल्प लिया।

कुट्टू पार्टी-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 6, 2025 हास्य रचनाएं 0

कुट्टू पार्टी"—व्रत की भूख और श्रद्धा का स्वादिष्ट संगम। यह कोई ‘किटी पार्टी’ नहीं, बल्कि सेंधा नमक और फलाहार के बीच पनपी भारतीय संस्कृति की एक व्यंग्यात्मक परंपरा है। जहाँ महिलाएँ व्रत के बहाने ब्रह्मा जी से लेकर रसोई तक सबको सक्रिय रखती हैं, और ‘कुट्टू का आटा’ बन जाता है धर्म, भूख और जुगाड़ का दिव्य सेतु।

अमीर दिखने का विज्ञान-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0

अमीर दिखना अब कोई मुश्किल नहीं, बस सही नुस्ख़े चाहिए। घर की सफ़ाई से लेकर कॉफी कप, फ्रिज के एवोकाडो और कॉलर वाले नाइट सूट तक—हर चीज़ आपकी ‘रईसी’ का प्रतीक है। गरीबपने की पहचान जैसे कैलेंडर पर दूध का हिसाब, पन्नी वाला रिमोट, और छेद वाली टी-शर्ट तुरंत त्यागिए। याद रखिए—Fake it till you make it—अमीर दिखने का असली विज्ञान यही है।

मैंने आईफोन क्यों लिया?-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0

“आईफोन क्यों लिया?” इस सवाल का जवाब तकनीकी फीचर्स नहीं, बल्कि स्वैग है। लेखक व्यंग्य में बताते हैं कि आईफोन खरीदने के बाद आत्मविश्वास भी अपग्रेड हो जाता है। अब जेब वही चलती है जिसमें तीन कैमरों वाला आईफोन झाँकता है। पत्नी को घर की मरम्मत टालनी पड़ी, पर आईफोन का बीमा हो गया। असलियत में मोबाइल से ज़्यादा उसकी शोभा और लोगो दिखाना ही सबसे बड़ा फीचर है।

अथ खालीदास साहित्यकथा-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 3, 2025 व्यंग रचनाएं 0

“अथ खालीदास साहित्यकथा” आज के साहित्य की खिचड़ी परोसती है। फेसबुकिये कविराज, ट्विटरबाज महंत, सेल्फी–क्वीन और रीलबाज कविगण – सब मंच से उतरकर मोबाइल स्क्रीन पर आ विराजे हैं। आलोचक चुहलबाज बने बैठे हैं और सत्य कोने में जम्हाई ले रहा है। लाइक–पुरुषों की अंगूठी साहित्य की असली मुहर बन चुकी है। यही है साहित्य का आज का फास्ट–फूड संस्करण।

दशहरा 2025: क्यों रावण जलता है और राम पूजित होते हैं? एक दार्शनिक विमर्श

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 2, 2025 Important days 0

दशहरा केवल पुतलों का त्योहार नहीं, यह मनुष्य के भीतर छिपे रावण और राम के बीच की लड़ाई है। रावण के पास सामर्थ्य, ज्ञान और वैभव था, लेकिन संतोष नहीं। राम के पास संघर्ष और वनवास था, लेकिन संतोष ही उनकी शक्ति थी। रावण इच्छाओं का दास था, राम आत्मसंयम के स्वामी। यही कारण है कि आज भी रावण जलाया जाता है और राम पूजित होते हैं।

कलियुग का रावण-व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 2, 2025 व्यंग रचनाएं 1

अख़बार ने लिखा — इस बार रावण 'मेड-इन-जापान'! पुतला बड़ा, वाटरप्रूफ, और दोनों पैरों से वोट माँगने तैयार। हम रोते नहीं, तमाशा देखते हैं: रावण की लकड़ी दूर से चमकती है, बच्चे खिलौने समझकर गले लगाते हैं, आयोजक स्टेज पर तालियां खाते हैं। असली रावण तो अंदर छिपा है — वह मुस्कुराता है और हर साल नया रूप धारण कर वोट, पैसा और शो भुनाता है। और सब शांत बैठे।

दिवाली की सफाई: घर, किताबें और कबाड़ी वाला – एक व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 2, 2025 व्यंग रचनाएं 0

दिवाली का असली मतलब घर की महिलाओं के लिए सफाई है। और सफाई सिर्फ झाड़ू-पोंछा नहीं, बल्कि पति के शौक की चीज़ों को कबाड़ी वाले तक पहुंचाने का मिशन है। किताबें, कैमरे और कबाड़—सब अलमारी की जगह घेरकर ‘अपराधी’ घोषित हो जाते हैं। पति हर बार वादा करता है—“काम आएंगी”—पर सफाई अभियान में उसकी दलीलें भी झाड़ू के नीचे दब जाती हैं।