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Author: डॉ मुकेश ‘असीमित’

लेखक का नाम: डॉ. मुकेश गर्ग निवास स्थान: गंगापुर सिटी, राजस्थान पिन कोड -३२२२०१ मेल आई डी -thefocusunlimited€@gmail.com पेशा: अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ लेखन रुचि: कविताएं, संस्मरण, व्यंग्य और हास्य रचनाएं प्रकाशित  पुस्तक “नरेंद्र मोदी का निर्माण: चायवाला से चौकीदार तक” (किताबगंज प्रकाशन से ) काव्य कुम्भ (साझा संकलन ) नीलम पब्लिकेशन से  काव्य ग्रन्थ भाग प्रथम (साझा संकलन ) लायंस पब्लिकेशन से  अंग्रेजी भाषा में-रोजेज एंड थोर्न्स -(एक व्यंग्य  संग्रह ) नोशन प्रेस से  –गिरने में क्या हर्ज है   -(५१ व्यंग्य रचनाओं का संग्रह ) भावना प्रकाशन से  प्रकाशनाधीन -व्यंग्य चालीसा (साझा संकलन )  किताबगंज   प्रकाशन  से  देश विदेश के जाने माने दैनिकी,साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित  सम्मान एवं पुरस्कार -स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन  अवार्ड  ”
एक प्रेरणादायक दृश्य जिसमें एक बिजनेस लीडर पहाड़ी की चोटी पर खड़ा है, नीचे उगता हुआ सूरज, और दूर दूर तक फैली सफल कंपनियों के प्रतीक चिन्ह, जो महानता की ओर बढ़ने की यात्रा को दर्शाता है।

कैसे एक कंपनी महान बनती है -good to great company-Book summery Jim Collins

महान कंपनियाँ केवल लाभ नहीं, एक दृष्टिकोण और विरासत बनाती हैं। ‘गुड इज़ द एनिमी ऑफ़ ग्रेट’ की अवधारणा पर आधारित यह लेख बताता है…

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रिश्वत नहीं ये सुविधा शुल्क है -व्यंग रचना

रिश्वत नहीं ये सुविधा शुल्क है -व्यंग रचना भगवत पुराण में ऐसे कई अध्याय हैं जो मौखिक रूप से ही पीढ़ी दर पीढ़ी स्थानांतरित हुए…

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शहरी कोचिंग सेंटर की दीवार पर लटके होर्डिंग्स में बच्चों की मुस्कराती तस्वीरें, जबकि नीचे एक बच्चा भारी बस्ता उठाए उदासी से सड़क पर चलता दिख रहा है।

“कोचिंग की कक्षाओं में क़ैद कच्चे ख्वाब: आधुनिक शिक्षा का अक्स”

आजकल के 99% अंक बच्चों की प्रतिभा नहीं, शिक्षा व्यवस्था की उदारता दर्शाते हैं। जहां पहले पास होना जश्न था, अब मेरिट भी बोझ है।…

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एक व्यस्त डॉक्टर की ओपीडी में घुसने की कोशिश करता हुआ घमंडी पत्रकार, बाहर लाइन में खड़े मरीज, और डॉक्टर की पीठ पीछे सम्मान और डिग्रियों से सजी अलमारी।

हैप्पी डॉक्टर्स डे – व्यंग्य रचना

डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’…

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एक लड़का रात में खिड़की से तारों को देखता हुआ, पीछे शेल्फ पर रखी ट्रॉफियों के बीच बैठा है — उसकी आँखों में प्रश्न हैं, सपने हैं।

मैं बच्चा हूँ, ट्रॉफी नहीं-कविता -डॉ मुकेश असीमित

यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों…

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एक अकेले डॉक्टर की छाया, हाथ में सर्जरी का औजार, पृष्ठभूमि में अस्पताल की हलचल, चेहरे पर थकान और उदासी, आँखों में अनकही वेदना।

एक डॉक्टर की अंतर्वेदना-कविता-बात अपने देश की

एक डॉक्टर की आत्मा में दबी हुई करुण पुकार — जो हर दिन दूसरों के लिए जीवन की लड़ाई लड़ता है, पर खुद की वेदना…

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फुलेरा गांव की सोंधी मिट्टी में डूबी पंचायत वेबसीरीज़ का पोस्टर, जिसमें सचिव जी गंभीर मुद्रा में खड़े हैं, पृष्ठभूमि में चुनावी पोस्टर और रिंकी की हल्की मुस्कान दिख रही है, एक कोने में प्रधान जी उदास बैठे हैं।

पंचायत सीज़न 4: फुलेरा की मिट्टी में राजनीति की महक!

पंचायत सीज़न 4 फुलेरा की उसी मिट्टी से शुरू होता है, जिसमें पहले हँसी और सादगी उगती थी — लेकिन इस बार राजनीति की परतें…

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एक मध्यम आयु का व्यक्ति एक लकड़ी की मेज़ पर उदास मुद्रा में बैठा है, उसके चेहरे पर गहरी चिंता की झलक है। उसने लाल शर्ट और काले कोट के ऊपर एक छोटा सा लाल हथौड़ा-हंसिया का चिह्न लगाया हुआ है, और मेज़ पर एक गिलास में हल्का भूरा शराब (सिंगल मॉल्ट) रखा है। पृष्ठभूमि में गर्म और गहरे रंगों की अमूर्त बनावट है।

“बेसहारा सर्वहारा चिन्तक” कविता रचना-डॉ मुकेश असीमित

एक मुखौटा जो क्रांति का नाम लेता है, और एक जाम जो सिंगल मॉल्ट से छलकता है। डॉ. मुकेश ‘असीमित’ की यह तीखी व्यंग्यात्मक कविता…

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