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Author: Vivek Ranjan Shreevastav

विवेक रंजन श्रीवास्तव ,वरिष्ठ व्यंग्यकार, स्वतंत्र लेखक ( हिंदी व अंग्रेजी ) २८ जुलाई १९५९ में मण्डला के एक साहित्यिक परिवार में जन्म . माँ … स्व दयावती श्रीवास्तव …सेवा निवृत प्राचार्या पिता … प्रो चित्र भूषण श्रीवास्तव विदग्ध … वरिष्ठ साहित्यकार, कवि अनुवादक पत्नी … श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव … स्वतंत्र लेखिका इंजीनियरिंग की पोस्ट ग्रेडुएट शिक्षा के बाद विद्युत मण्डल में शासकीय सेवा . संप्रति जबलपुर मुख्यालय में मुख्य अभियंता के रूप में सेवा निवृत्त . परमाणु बिजली घर चुटका जिला मण्डला के प्रारंभिक सर्वेक्षण से स्वीकृति , सहित अनेक उल्लेखनीय लघु पन बिजली परियोजनाओ , १३२ व ३३ कि वो उपकेंद्रो , केंद्रीय प्रशिक्षण केंद्र जबलपुर आदि के निर्माण का तकनीकी गौरव . बिजली का बदलता परिदृश्य , जल जंगल जमीन आदि तकनीकी किताबें . हिन्दी में वैज्ञानिक विषयों पर निरंतर लेखन , हिन्दी ब्लागिंग . १९९२ में नई कविताओ की पहली किताब आक्रोश तार सप्तक अर्ध शती समारोह में भोपाल मे विमोचित , इस पुस्तक को दिव्य काव्य अलंकरण मिला .. व्यंग्य की किताबें रामभरोसे , कौआ कान ले गया , मेरे प्रिय व्यंग्य , धन्नो बसंती और बसंत , बकवास काम की , जय हो भ्रष्टाचार की ,समस्या का पंजीकरण , खटर पटर व अन्य प्रिंट व किंडल आदि प्लेटफार्म पर . समस्या का समाधान का अंग्रेजी अनुवाद किंडल पर सुलभ मिली भगत , एवं लाकडाउन नाम से सँयुक्त वैश्विक व्यंग्य संग्रह का संपादन . व्यंग्य के नवल स्वर , आलोक पौराणिक व्यंग्य का ए टी एम , बता दूं क्या , अब तक 75 , इक्कीसवीं सदी के 131 श्रेष्ठ व्यंग्यकार , 251 श्रेष्ठ व्यंग्यकार , निभा आदि अनेक संग्रहो में सहभागिता भगत सिंह , उधमसिंह , रानी दुर्गावती आदि महान विभूतियों पर चर्चित किताबें लिखीं हैं जलनाद नाटक संग्रह विश्ववाणी से राष्ट्रिय स्तर पर पुरस्कृत , हिन्दोस्तां हमारा , जादू शिक्षा का नाटक संग्रह चर्चित व म. प्र. साहित्य अकादमी से सम्मानित, तथा पुरस्कृत पाठक मंच के माध्यम से नियमित पुस्तक समीक्षक e – abivyakti के साहित्य सम्पादक म प्र साहित्य अकादमी ,पाथेय मंथन ,वर्तिका , हिन्दी साहित्य सम्मेलन , तुलसी साहित्य अकादमी व अनेक साहित्यिक़ संस्थाओं , से सम्मानित सामाजिक लेखन के लिये रेड एण्ड व्हाईट सम्मान से सम्मानित . वर्तिका पंजीकृत साहित्यिक सामाजिक संस्था के राष्ट्रीय संयोजक टी वी , रेडियो , यू ट्यूब , पत्र पत्रिकाओ में निरंतर प्रकाशन . व अन्य ब्लॉग संपर्क… ए २३३ , ओल्ड मिनाल रेजीडेंसी , भोपाल , म प्र , ४६२०२३
एक बुज़ुर्ग महिला आरती करती दिख रही हैं, वहीं मोबाइल स्क्रीन पर एक बहू हाथ जोड़कर पूजा में शामिल है — यह वर्चुअल पूजा के माध्यम से जुड़ते परिवार की झलक है।

“वर्चुअल पूजा वाली बहुएं”-हास्य-व्यंग्य

आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं —…