बाढ़ पर्यटन — जब त्रासदी तमाशा बन जाए! व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 6, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment बाढ़ सिर्फ पानी नहीं लाती, संवेदनहीनता की परतें भी उघाड़ती है। “बाढ़ पर्यटन” एक ऐसी ही कड़वी सच्चाई को उजागर करती है जहाँ किट्टी पार्टी… Spread the love
अधगल गगरी छलकत जाए-हास्य-व्यंग्य Vivek Ranjan Shreevastav July 5, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments आज की डिजिटल दुनिया में अधजल गगरी का छलकना नए ट्रेंड का प्रतीक बन गया है। सोशल मीडिया पर ज्ञान कम और आत्मविश्वास ज़्यादा दिखाई… Spread the love
लिख के ले लो यार ..हास्य व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' July 4, 2025 व्यंग रचनाएं 2 Comments हर मोहल्ले में एक ‘भविष्यवक्ता अंकल’ होते हैं—जो हर शुभ कार्य में अमंगल ढूँढने को व्याकुल रहते हैं। उनकी ज़ुबान पर एक ही ब्रह्मवाक्य रहता… Spread the love
रिश्वतोपाख्यान — श्रीकृष्णार्जुन संवाद डॉ मुकेश 'असीमित' July 3, 2025 व्यंग रचनाएं 1 Comment श्रीकृष्ण अर्जुन को कलियुग की विभीषिका ‘रिश्वत’ के स्वरूप से अवगत करा रहे हैं। पार्श्व में छिपा राक्षसी रूप और धनराशि की पोटलियाँ इस भ्रष्टाचार… Spread the love
“वर्चुअल पूजा वाली बहुएं”-हास्य-व्यंग्य Vivek Ranjan Shreevastav July 1, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments आधुनिक भारतीय परिवारों में उभरती वर्चुअल पूजा की परंपरा को दर्शाता है, जहाँ सास और बहू तकनीक के माध्यम से पूजा में जुड़ी हैं —… Spread the love
हैप्पी डॉक्टर्स डे – व्यंग्य रचना डॉ मुकेश 'असीमित' June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments डॉक्टर्स डे के दिन एक पत्रकार ‘VIP एंट्री’ की जिद पर अड़ा था। डॉक्टर की शोकेस डिग्रियों से भरी थी लेकिन वह ‘चंदा देकर सम्मानित’… Spread the love
बरसात में झीगुरों की आमसभा-हास्य-व्यंग्य Pradeep Audichya June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments बारिश की रात झींगुरों की आवाज़ को कभी ध्यान से सुनिए – वो बस टर्राहट नहीं, एक आंदोलन की गूंज है। वे मंच पर अधिकारों… Spread the love
जब आप लड़की देखने जाए श्रीमान तो इन पांच बातों का रखें विशेष ध्यान Mukesh Rathor June 30, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments रोटी, कपड़ा, मकान के बाद अब नौकरी और छोकरी युवा की प्रमुख आवश्यकताएं बन गई हैं। लड़की देखने जाना शादी से पहले की सबसे बड़ी… Spread the love
कैपविहीन कलम का करुण क्रंदन डॉ मुकेश 'असीमित' June 27, 2025 Blogs 7 Comments डॉक्टर साहब की जिंदगी पेन की कैप पर अटक गई है। कभी स्टाफ फेंक देता है, कभी चूहा चुरा लेता है! कैपविहीन पेन की स्याही… Spread the love
अड़े रहो सखियों— ये जिंदगी तो ना मिलेगी दोबारा— Sushma Vyas June 25, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments श्रीमती बिंदिया ढहया लेखिका बनने के बाद अब “एडमिन” बनने पर अड़ी हैं — फेसबुक पेज, लाइव कार्यक्रम, महिला मंच… सब कुछ चाहिए उन्हें! बेटा… Spread the love