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Category: Book Review

Minimalistic abstract line-art book cover illustrating a smiling figure, folk life motifs, music notes, and a meditating sage, symbolizing Kundaliya poetry’s rhythm, humor, philosophy, and folk essence.

कुण्डलियों की विरासत : महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ का संग्रह

यह संग्रह महादेव प्रसाद ‘प्रेमी’ की कुण्डलियों का संकलन है, जिसे डॉ. मुकेश असीमित ने संपादित व प्रस्तुत किया है। इसमें प्रत्येक कुण्डली के साथ…

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A book cover of "गिरने में क्या हर्ज़ है" held in soft daylight, with an expressive image symbolizing satire, and a pen beside it. Background shows a desk, signifying literary thought and critique.

गिरने में क्या हर्ज़ है-किताब समीक्षा-प्रभात गोश्वामी

डॉ. मुकेश असीमित का व्यंग्य संग्रह ‘गिरने में क्या हर्ज़ है’ न केवल भाषा की रवानगी दिखाता है, बल्कि विसंगतियों की गहरी पड़ताल भी करता…

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एक व्यंग्यकार डॉक्टर अपने क्लिनिक में हड्डी जोड़ने की जगह हास्य और व्यंग्य के धागों से रचना बुनता हुआ, किताबों और सामाजिक प्रतीकों से घिरा चित्र।

गिरने में क्या हर्ज़ है-पुस्तक समीक्षा व्यंग्यकार अर्चना चतुर्वेदी द्वारा

‘गिरने में क्या हर्ज है’ डाक्टर मुकेश ‘असीमित’ जी का पहला व्यंग्य संग्रह है । पहले संग्रह के हिसाब से देखा जाए तो डॉक्टर साब…

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पंकज त्रिवेदी के काव्य संग्रह "तुम मेरे अज़ीज़ हो" की समीक्षा, जिसमें आत्मीय प्रेम, विरह, और स्मृतियों का गहन चित्रण किया गया है।

काव्य संग्रह समीक्षा-तुम मेरे अज़ीज़ हो-डॉ मुकेश असीमित द्वारा

“तुम मेरे अज़ीज़ हो” सिर्फ प्रेम का नहीं, आत्म-संवाद, स्मृति और मौन की यात्रा है। पंकज त्रिवेदी की सरल भाषा में छिपे गहन भाव, प्रेम…

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हाथ में अपनी पुस्तक गिरने में क्या हर्ज़ है पकड़े हुए डॉ. मुकेश असीमित की मुस्कुराती हुई तस्वीर। पुस्तक का आवरण चित्रात्मक शैली में व्यंग्य भाव के साथ सजी है जिसमें एक राजनेता सीढ़ियों से गिरते हुए दिखाया गया है।

व्यंग्य की दुनिया में एक जागरूक आमद -पुस्तक समीक्षा -डॉ अतुल चतुर्वेदी

‘गिरने में क्या हर्ज़ है’ एक बहुआयामी व्यंग्य संग्रह है जिसमें डॉ. मुकेश असीमित ने समाज, राजनीति, शिक्षा और चिकित्सा जैसे क्षेत्रों की विसंगतियों को…

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