चाय ,दाल और बीबी
डा राम कुमार जोशी
यदि आप इन तीनों की समानता में साम्य स्थापित नही कर पाये है तो आप समझ लीजिए कि आप अधूरे हैं। इन्हें समझना हर सफल व्यक्ति केलिए आवश्यक है।
याद रखिए तीनों का स्वभाव उबलना और बड़ी देर तक उबलना होता है। पर एक बात अगर ये तीनों ठीक उबले नहीं किसी काम के भी नही। वो घर कैसा जहां ये तीनों उबले नहीं।
समझिए, ये तीनों अपने अपने स्थान पर पड़े पड़े उबलते रहते है। नही उबले तो समझिए आपके चूल्हे में ही गड़बड़ है। लाइटर काम नहीं कर रहा है।
उबलती चाय की हलचल सब जानते है तो उबलती दाल देगची में जैसे गुलाचिया खाती है और पत्नी भी जब गर्म होती है तो वह घर के एक कोने से दूसरे कोने तक सबको गरमाती हड़काती रहती है।
एक बात और, उबले बिना इनकी पर्सनिलिटी में कोई निखार भी नहीं होता। उबलते ही कोई ख़ुशबू देता है तो कोई स्वाद और कोई कड़क स्वभाव। देने का सुभाव तीनों का है लेते कुछ नहीं।
एक बात ज़रा गंभीरता की, गर तीसरी को साध लिया तो वो ही बात की ऐके साधे सब सधे…….।
सही तरीके से उबालिए , तीनों में सुहाना रंग आयेगा, चाय थोड़ी बहुत लाल हो जाती है तो दाल पीली और बीबी हो जाती है लाल और पीली। अब तो फिर सम्हालना लाजिमी हो जाता है।
याद रखिए एक चाय आपकी सुबह को ताजा करती है तो दाल दिन को सुधारती है तो तीसरी आपका जीवन बनाती है।
मजेदार बात देखिए कि तीनों ही जनाना है। इन तीनों की समानता केवल रंग तक नही सीमित नही, आपकी दिनचर्या से भी है। समझ कर तीनों बनाईये, संवारिए अपना जीवन सुधारिए।
इनको गर परोटना नहीं आता तो मजा भी नहीं मिलेगा। ख्याल रहे कि टेक्नीक के साथ अपन को चाय का सुड़का, दाल का सबड़का और बीबी का झटका सहना आगया है तो जीवन में आनंद ही आनंद मिलेगा।
बस एक ही सावधानी रखें कि तीनों सही तरीके से उबालिए, रंग चोखा लाइये, सुड़किए और हडकाइये। अन्यथा तीनों आप का जायका बिगाड़ देगी। फिर आपका भगवान ही मालिक है।

डा राम कुमार जोशी
ललित कुंज, जोशी प्रोल
सरदार पटेल मार्ग, बाड़मेर (राज)
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