**गुरु गुड ही रहे चेला चीनी हो गए **
सुबह-सुबह यह लेखनी की खुजली मिटा ही रहा था कि कीबोर्ड पर कुछ शॉर्टकट कीज़ का उपयोग करते हुए एक विचार कोंधा। ज़िंदगी क्या इन कीबोर्ड के शॉर्टकट्स जैसे शॉर्टकट की तलाश जैसी नहीं है ?हर कोई शॉर्टकट की तलाश में है—कोई धंधे में एक रात में करोड़पति बनना चाहता है, कोई फिल्मों में सुपरस्टार, कोई सुपर डुपर नेता बनने को होड़ में है। सभी बस चुटकियों में सफलता चाहते हैं, और गुरु होते हैं शॉर्टकट के सरताज। किसी को पडोसी की लडकी को भगाने का शॉर्टकट चाहिए, किसी को शेयर मार्केट में, और शायद यही कारण है हमारी जिंदगी में इन शॉर्टकट को प्रदान करने वालों की तलाश हमें गुरुओं तक ले जाती है जहां डिमांड वहां सप्लाई लाजमी है ।
गुरु, जिन्हें हम बचपन के कडवे मीठे अनुभवों के आधार पर ,मार्साब,मासाब और मास्टर जी कहते आये हैं, उनका नाम इतना व्यापक हो जाएगा ये कभी सोचा ही नहीं। अब तो हर कोई गुरु बनने को हो रहा है। जहां देखो वहां गुरुओं का बाज़ार सजा है—लव गुरु, टैक्स गुरु, राजनीतिक गुरु। सबसे बड़ी बात कोई चेला बनना चाहता ही नहीं। वैसे चेला बनाना आज खतरे से खाली नहीं। सबसे ज्यादा चेलाओं ने जो गुरुओं की वाट लगाई हैं, पूछो मत। जहां देखो वहां चेले गुरु की कुर्सी को येन केन प्रकारेण हथिया कर खुद गुरु बनेजा रहे हैं। गुरु जी को संरक्षण मंडल ,पथ प्रदर्शनी मंडली में बिठाकर गुरु दक्षिणा देकर इतिश्री कर लेते हैं ।
जब से मानवाधिकार वालों ने,पेरेंट्स की शह पर गुरु शिष्य परंपरा में अभिन्न रूप से व्याप्त कूटन संस्कार पर उँगली उठाई है तब से गुरु शिष्य परंपरा खत्म सी हो गई हैं। हमारे बचपन में तो पिताजी हमें गुरु के पास गिरवी रख के आते थे और पूरा पावर ऑफ अटॉर्नी देते थे, “गुरु जी अब तुम्हारो इ बच्चा है, तुम्ही याके मैया बाप।” और संस्कृत का श्लोक त्वमेव माता च पिता त्वमेव ‘,गुरु जी अपने डंडेकी मार से से ऐसा रटा देते कि बस दिन रात सोते उठते चलते फिरते गुरु जी और उनका डंडा ही याद रहा।
कलियुग की भव सागर में हिचकोले खाती नैया विना गुरु खेवनहार के तारण संभव नहीं इसलिए हर कोई गुरु बनाए जा रहा है—कोई एक, कोई दो, जितनी जिसकी सामर्थ्य उतने गुरु बना लिए हैं। गुरु भी जीवन नैया में स्टेफीनी की तरह लगे रहते है , एक गुरु जी की हवा निकली तो दूसरा तैयार ! गुरु बनाना कोई हँसी खेल नहीं, गुरु दक्षिणा देनी पड़ती है, आजकल गुरु ज्ञान बाद में पहले गुरु दक्षिणा एंट्री फीस की तरह जमा होती है ! सब गुरुओं की रेट अलग अलग है। गुरु ज्ञान बाद में बाद में ,गुरु को भरोसा नहीं न , ज्ञान लेकर पलट जाए कह दे की गुरु मजा नहीं आया ज्ञान में ,पेट नहीं भरा, फलाने गुरु का ही अच्छा था इस से तो ,या फिर खुद ज्ञान देने लग जाए। गुरु मंत्र कान में फूँका जाता है, कोई बगल वाला नहीं सुन ले, कोई एग्ज़ाम का पेपर थोड़े ही है जो बगल वाले को नकल करा देंगे। असल में गुरु की ज़रूरत होती है शॉर्टकट के लिए, और उससे भी ज्यादा जरूरत टिप्स के लिए , गुरु मंत्र नहीं टिप्स चाहिए। गुरु शेयर मार्केट में किस पर कंपनी पर पैसा लगाया जाये , कौनसे नंबर पर सट्टा लगाया जाए ,कौनसे खिलाड़ी या घोड़े पर, सब गुरु जी टिप्स देते हैं। गुरु जी व्यापार में घाटा, बेटा बाप के रगड़े , सास बहु के झगडे सब समस्याओं के टिप्स गुरु जी के पास ! रातों रात करोड़ पति बनने के, मकान दुकान छुड़वाने या हथियाने के, सबके शॉर्ट कट गुरु जी के पास ! गुरु जी समझौता कराते हैं , आउट ऑफ़ द कोर्ट सेटलमेंट कराते हैं , बड़ी से बड़ी डील गुरु जी के चरणों के नीचे संपन्न हो जाती है ! सोचो कोर्ट में लाखों फाइलें पेंडिंग है ,सब इन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में क्यों नहीं भेजी जाएँ ! गुरु जी के पास सब आते हैं ,सत्ता पार्टी भी और विपक्षी पार्टी ,सभी के आलाकमान गुरु की चरणों की धुल में पड़े रहते हैं ! पार्टी नेता दल बदल और महा ठग गठबंधन सब नेता जी के चरणों के नीचे ही होता है, कमीशन की रेट ,दलाली की रेट सब वहां चरणों में बैठकर निर्धारित होती है, कितना स्कोप बढ़ गया है ! गुरु भी सतर्क हो गए स्थायी चेला किसी को नहीं बनाते , बस टिप्स लो, और चलते बनो ! गुरु के पास हर समस्या का हल है , बच्चा नहीं हो रहा तो गुरु के पास ऐसी गुप्त ओषधि है जो 5000 वर्ष पूर्व हिमालय से लाई हुई हैं ,गुरु को उनके गुरु ने जो ५००० वर्ष जीए हैं उन्होंने दी है .उसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं है, उसने न जाने कितने निसंतानों की गोद हरी कर दी, गुरु ने खुद इसे आजमा कर कई शिष्याओं की गोद हरी की है , शार्तिया प्रयोगिक तौर पर इस्तेमाल करी हुई।
रचनाकार –डॉ मुकेश असीमित
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बहुत सुंदर 👌👌
आभार आपका