लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3233E-1 के “सेवा सप्ताह – सेवांकुर” के अंतर्गत आज का दिन करुणा से सराबोर रहा। लायंस क्लब सार्थक ने आज का दिन समर्पित किया उन जीवों को, जो हमारी धरती के मौन साथी हैं — गायें, बंदर, पक्षी और चींटियाँ।
यह आयोजन केवल सेवा नहीं, बल्कि संवेदनशीलता की एक मिसाल था।
सुबह का वातावरण भजनाश्रम के पास स्थित गौशाला में कुछ अलग ही था। शुद्ध हवा में घुली थी भूसे की महक और सेवा की भावना की मिठास। क्लब सदस्यों ने बड़ी आत्मीयता से गायों को हरी घास और चारा खिलाया। गायों की आंखों में झलकता संतोष जैसे इस बात का प्रमाण था कि प्रेम की भाषा हर प्राणी समझता है।
इसके बाद लायंस सदस्य पहुँचे देव नारायण मंदिर परिसर, जहाँ उन्होंने बंदरों को केले खिलाए। बंदरों की शरारतें और सदस्यों की मुस्कुराहटें इस पल को जीवंत बना रही थीं। इसी दौरान चींटियों को दाना और पक्षियों के लिए चुग्गा डालने का कार्य भी किया गया। यह दृश्य ऐसा था जैसे मानवता और प्रकृति के बीच की दूरी कुछ क्षणों के लिए मिट गई हो।
प्रोजेक्ट चेयरपर्सन लायन मुकेश गुप्ता (MBM स्कूल) ने बताया कि यह कार्यक्रम केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सजीव संदेश है कि सेवा का दायरा मनुष्यों तक सीमित नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी साझा किया कि “जीव अनुकम्पा संस्था” ने इस आयोजन में सक्रिय सहयोग प्रदान किया, जिससे कार्यक्रम और भी सार्थक बन गया।
इस मौके पर रीजन 11 के चेयरपर्सन एडवोकेट विवेक कुमार मीना, ज़ोन चेयरपर्सन आनंद गोयल, लायन आलोक मालधनी, सर्विस वीक को-कोऑर्डिनेटर डॉ. सी.के. सिंघल, लायन सुमित सिरोहिया, लायन डॉ. मुकेश गर्ग, लायन राजेश मंगल और अनेक लायंस सदस्य उपस्थित रहे। उनकी सहभागिता ने कार्यक्रम को ऊर्जा और दिशा दोनों दी।

गायों को चारा, बंदरों को केले, पक्षियों को चुग्गा — लायंस क्लब सार्थक ने “सेवांकुर सेवा सप्ताह” में पशु-पक्षी सेवा दिवस मनाया, करुणा और संवेदना का सजीव संदेश दिया। 🌿🐄🐒🐦
डॉ. मुकेश गर्ग ने अपने संबोधन में कहा कि आज के युग में मनुष्य अपनी सुविधाओं में इतना खो गया है कि उसने अपने आस-पास के जीवों को भूल जाना शुरू कर दिया है। जबकि सच्ची सेवा वही है, जिसमें हम हर प्राणी के प्रति दया और समानुभूति रखें। उन्होंने कहा कि जब हम गाय को चारा, पक्षी को दाना और बंदर को केला खिलाते हैं, तो हम केवल पेट नहीं भरते, बल्कि प्रकृति से अपने रिश्ते को पुनः स्थापित करते हैं।
कार्यक्रम का वातावरण आध्यात्मिक और प्रेरणादायक दोनों था। बच्चों ने भी इस सेवा गतिविधि में भाग लिया और उन्होंने सीखा कि करुणा केवल किताबों का विषय नहीं, बल्कि जीवन का अभ्यास है।
दिन के शुरुआत में जब पक्षी अपने घोंसलों से दाना पानी के लिए बहार जाने को तैयार , सूर्य उदयांचल में अपनी लालिमा बिखेर रहा था , तब सभी लायंस सदस्य एक संतोष भरी मुस्कान के साथ यह संकल्प ले रहे थे कि आने वाले समय में वे ऐसी ही सेवा गतिविधियों को और व्यापक रूप देंगे।
“सेवांकुर” का यही संदेश है — सेवा केवल कर्म नहीं, बल्कि संस्कार है।
लायंस क्लब सार्थक ने आज यह साबित किया कि जब इंसान अपने भीतर की संवेदना को जगाता है, तो वह केवल समाज का नहीं, बल्कि पूरी सृष्टि का भला करता है।
🕊️ “जीव दया ही सबसे बड़ी पूजा है — और सेवा ही सच्चा धर्म।”
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