जूता पुराण : शो-टाइम से शू-टाइम तक

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 11, 2025 व्यंग रचनाएं 0

इन दिनों जूते बोल रहे हैं — संसद से लेकर सेमिनार तक, हर मंच पर चप्पलें संवाद कर रही हैं। कभी प्रेमचंद के फटे जूतों में साहित्य की आत्मा बसती थी, अब वही जूते ब्रांडेड आत्म-सम्मान के प्रतीक बन गए हैं। जूता अब महज़ पैर की रक्षा नहीं करता, बल्कि समाज की मानसिक स्थिति का मापदंड बन चुका है।

श्रीमती जी का व्रत-हास्य व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 Fashion,Food and Traveling 0

जब श्रीमती जी के हाथ से चाय का दूसरा कप गायब हो और चेहरे पर व्रत का तेज़ नजर आने लगे, समझ जाइए — करवा चौथ है! ऐसे दिन पति का काम सिर्फ दो होता है: हर आधे घंटे में छत पर जाकर चाँद ढूँढना और गलती से भी पड़ोसी के पति को चाँद न समझ लेना। वरना व्रत खुलने से पहले ही जीवन बंद हो जाएगा।

करवा चौथ का व्रत-हास्य-व्यंग्य

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 Fashion,Food and Traveling 0

करवा चौथ का व्रत अब प्रेम का नहीं, रिचार्ज का उत्सव बन गया है — पतियों की “लाइफटाइम वैलिडिटी” हर साल नए गिफ्ट और पैक के साथ रिन्यू होती है। बाजार में चाँद और सेल एक साथ उगते हैं, और पत्नियाँ “नारायणी वाहिनी सिंघणी” बनकर पतियों से ईद का चाँद बनने की फरमाइश करती हैं। व्यंग्य की धार में लिपटा यह लेख बताता है कि रिश्तों में प्रेम से ज़्यादा अब प्लान और पैक महत्त्वपूर्ण हो गए हैं।

रंगों में रचा संदेश – लायंस क्लब सार्थक की “पीस पोस्टर प्रतियोगिता

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 News and Events 0

लायंस क्लब सार्थक द्वारा सेवांकुर सेवा सप्ताह के अंतर्गत एम.बी.एम. स्कूल, मिर्ज़ापुर में पीस पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित की गई। बच्चों ने “हम सब एक हैं” थीम पर अपनी कल्पनाओं को रंगों में पिरोकर शांति और एकता का संदेश दिया। वैष्णवी अग्रवाल और पायल बैरवा ने क्रमशः प्रथम और द्वितीय स्थान प्राप्त किया। यह आयोजन बच्चों की रचनात्मकता और सामाजिक चेतना का उत्सव बन गया।

ला:स्लो क्रॉस्नॉहोरकै — शब्दों के प्रवाह में बहता अँधकार : साहित्य का नोबेल पुरस्कार 2025

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 News and Events 0

László Krasznahorkai, the Hungarian master of long, meditative sentences and existential depth, has been awarded the 2025 Nobel Prize in Literature. His works—filled with flowing intensity, philosophical unease, and haunting imagery—redefine the limits of narrative form. As the world celebrates him, Hindi readers too stand to rediscover the boundless possibilities of literary expression and human introspection through his timeless prose.

मध्यमवर्गीय शादियाँ : परंपरा, शोभा और तकनीक का तड़का

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 10, 2025 व्यंग रचनाएं 0

हमारे इलाक़े की मध्यमवर्गीय शादियाँ किसी भूले-बिसरे लोकगीत के रीमिक्स जैसी होती हैं — धुन परंपरा की, बोल नए ज़माने के। रिश्ता तय होने की मीटिंगें “संयोग-वृष्टि” का अखाड़ा बन जाती हैं, जहाँ हर वाक्य में पारिवारिक मेल-जोल की गाथा गूँजती है। “शोभा बनी रहे” के बहुआयामी अर्थों के बीच दहेज की नई परिभाषा ‘आशीर्वाद’ बनकर आती है, और मध्यमवर्गीय शान का पैमाना बनते हैं — पंडाल, ड्रोन, और हेलिकॉप्टर!

लोकतंत्र की गाड़ी चल पड़ी, पम पम पम!

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 7, 2025 Blogs 0

लोकतंत्र की गाड़ी पम-पम-पम करती आगे बढ़ रही है—टायरों में हवा नहीं, पर वादों की फुलावट है। ड्राइवर बूढ़ा है पर जीपीएस नया, जो सिर्फ उसी की सुनता है। जनता सीट बेल्ट बाँधकर सफ़र का आनंद ले रही है—मंज़िल का सपना है ‘2047 का भारत’। इंजन पुराने भाषणों से गरम है, और भोंपू झूठे वादों का गान गा रहा है।

योग और सेवा का संगम : लायंस क्लब सार्थक का सेवांकुर ध्यान योग शिविर

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 7, 2025 News and Events 0

लायंस क्लब सार्थक द्वारा सेवांकुर सेवा सप्ताह के अंतर्गत नेहरू पार्क, गंगापुर सिटी में ध्यान योग शिविर का आयोजन किया गया। सुबह की ताजी हवा में सदस्यों ने योगासन, प्राणायाम और ध्यान किया। “ॐ” के उच्चारण के साथ शांति और सेवा का संदेश पूरे वातावरण में गूंज उठा। यह आयोजन सेवा, साधना और स्वास्थ्य का सुंदर संगम रहा।

लायंस क्लब सार्थक का ‘पशु–पक्षी सेवा दिवस’: करुणा, संवेदना और सेवा का जीवंत उत्सव

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 6, 2025 News and Events 0

लायंस क्लब इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3233E-1 के “सेवांकुर सेवा सप्ताह” के तहत लायंस क्लब सार्थक ने पशु-पक्षी सेवा दिवस मनाया। गायों को चारा, बंदरों को केले और पक्षियों को चुग्गा खिलाकर सदस्यों ने जीवों के प्रति करुणा और संवेदना का संदेश दिया। इस अवसर पर कई गणमान्य लायंस सदस्य उपस्थित रहे और सभी ने सेवा को संस्कार बनाने का संकल्प लिया।

कुट्टू पार्टी-हास्य व्यंग्य रचना

डॉ मुकेश 'असीमित' Oct 6, 2025 हास्य रचनाएं 0

कुट्टू पार्टी"—व्रत की भूख और श्रद्धा का स्वादिष्ट संगम। यह कोई ‘किटी पार्टी’ नहीं, बल्कि सेंधा नमक और फलाहार के बीच पनपी भारतीय संस्कृति की एक व्यंग्यात्मक परंपरा है। जहाँ महिलाएँ व्रत के बहाने ब्रह्मा जी से लेकर रसोई तक सबको सक्रिय रखती हैं, और ‘कुट्टू का आटा’ बन जाता है धर्म, भूख और जुगाड़ का दिव्य सेतु।