रायता पुराण : रायता फ़ैल गया
पुराणकथाओं में यदि भोजन-संस्कृति का आख्यान रचा जाए तो निःसंदेह रायते का स्थान सर्वोपरि माना जाएगा। यह दधि-जन्मा व्यंजन केवल जिव्हा की तृप्ति का साधन नहीं, बल्कि भारतीय पंगत का अद्वितीय अलंकार है।
कथा है कि जब सागर-मंथन हुआ, तब अमृतकलश से अमृत छलक कर पृथ्वी पर आ गिरा। यही अमृतांश दधि-रूप में प्रकट हुआ, जिसने असंख्य मृत्युलोक-निवासियों के कंठ को शीतलता दी। जब इस दधि में लवण, हरित-फल, कन्द और शाक मिलाए गए, तभी “रायते” का आदि-रूप उदित हुआ। इसे शीतलता का दूत और जठराग्नि का संहारक कहा गया।
रायते की विविधता कल्पतरु की शाखाओं-सी है—
- कुम्हड़ा-रायता – पीताभ, स्निग्ध और साधु-स्वभावी।
- लौकी-रायता – ग्राम्य गृहिणियों का प्रिय, सहज-उपलब्ध और तृप्तिकारक।
- फल-रायता – आधुनिक भोगियों के विलासी अलंकरण-सा, जिसमें सेव, द्राक्ष, अनार के दाने रत्नों की भाँति चमकते हैं।
- पुदीना-रायता – शीतल, प्राणवर्धक और ग्रीष्म ऋतु का वरदान।
- बूंदी-रायता – बरातों और लंगरों का प्राण। यह बारातियों और लंगरों में श्रद्धालुओं को खाद्य-सामग्री की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए है। जैसे दाल में पानी का अनुपात बढाने से काम चल जाता है, वैसे ही रायता भी संकटकाल की स्थिति में ,मेजबान की पतली हालत देख कर खुद पतला होकर भूख से व्याकुल बारातियों और श्रद्धालुओं की क्षुधा पूर्ति करता है।
ऐसे ही कितने रूपों में रायता भोजन-पात्र को विभूषित करता रहा।
रायते का असली गौरव पत्तल पर सजी पंगत में था। वह दृश्य एक सामाजिक समता का प्रतीक था। जहाँ क्या राजा क्या रंक सभी लोग एक समान स्तर पर बैठकर भोजन करते थे। पंगत के दृश्य में पूड़ी के साथ तीखी मसालेदार (मसाले का मतलब लाल मिर्ची )कद्दू की सब्ज़ी, और उसके द्वारा जिव्हा में लगी ज्वाला को शांत करने हेतु रायते की ठंडी बौछार । इस दौरान चमचे का प्रयोग वर्जित था, और रायते का दोना सीधे होठों से लगाकर कंठ में उतारा जाता था।यह रायते को भावपूर्ण इज्जत देने के लिए आवश्यक है l
पंगत के कुछ अलिखित नियम भी थे, जो रायते से जुड़े थे: ये सभी व्यवहार पंगत के शिष्टाचार हुआ करते थे।
- रायता परोसने वाले को भूखी नजरों से ताकना।हवा में उड़ते दोने को रायते से और गिलास को पानी से भरकर वही औपचारिक दफतरी प्रणाली को अंजाम देना , जैसे सरकारी दफ्तरों में उडती फाइलों में सुविधा शुल्क का पेपर वेट रखते हैं l
- रायते वाले को आता देखकर पहले ही अपना दोना खाली कर देना ताकि उसे रिफिल कर सके ।
- एक अतिरिक्त दोना लगवा लेना।बफर स्टॉक की तरह ,ताकि आपूर्ति सतत रहे l
- पड़ोसी का दोना खाली देखकर परोसने वाले को यह सूचना देना कि ‘भाई, इन्हें भी रायता दो’, और इसी बहाने अपना दोना भी भरवा लेना।
रायते के दो-चार दोने खाने के मैन कोर्स से पहले पीना छुदा-वर्धक (अपिटाइज़र) की तरह और खाने के बाद दो चार दोने अतरिक्त भकोसना भोजन पचाने की सौ प्रतिशत गारंटी माने जाते थे।
रायते की तासीर ठंडी मानी जाती है ,और सभी भोजन की गर्म ,इसलिए यह किसी भी मौसम में किसी भी भोजन के साथ एक अनिवार्य अंग माना जाता है l
किन्तु कालांतर में जब पंगत का स्थान बुफ़े ने ले लिया, तब रायते का गौरव भी ह्रास को प्राप्त हुआ। बुफ़े की व्यूह-रचना में जब विविध पकवान अपने-अपने पात्रों सहित प्रतिष्ठित होते हैं, तब रायते का स्थान मात्र एक कोने की परिधि में सीमित रहता है।कई बार तो भोजनार्थी औपचारिकता-स्वरूप एक दो चम्मच ले लेते हैं।अब वह प्लेट में लगे चावल के ढेर में रखी प्याली में इस तरह झुका रहता है ,की कभी भी फिसल कर नीचे गिर जाए l बचपन की फिसल पट्टी की स्म्रतियां ताजा हो जाती है देखकर l जो व्यंजन कभी पत्तल के मध्य प्रतिष्ठित था, आज एक्सेसरी बनकर रह गया है।
वहाँ वह संकुचित एवं भयाकुल मुद्रा में अवस्थित होकर मानो करुण स्वर में प्रार्थना करता है—
“हे भोक्ता-वर!
मुझे इस विपन्न दशा से उद्धार करो।
मैं प्लेट के एकांत कोने में सहमा हुआ बैठा हूँ,
रहम की याचना करता हूँ।
यदि किसी असावधान जन की कोहनी मुझसे टकरा गई
और उसके वस्त्रों पर छींट पड़ गए,
तो अन्यायपूर्वक अपकीर्ति मेरे ही सिर मढ़ दी जाएगी।
मेरा अपराध क्या है?
मैं तो शीतलता और तृप्ति का दूत हूँ,
फिर भी नाहक बदनामी का भागी बनता हूँ।”
कालांतर में रायता केवल खाने तक सीमित नहीं रहा। वह फैलाने का भी साधन बना—विशेषकर शादियों में फूफा के हाथों। कभी पकौड़े में नमक कम हो जाने पर, तो कभी मंच पर बुलाने की प्राथमिकता में कमी रह जाने परl लोकतंत्र के सभी खम्बों में फ़ैली राजनीती में रायता अफ़वाह और विवाद की तरह फैलाया जाने लगा । रायता थालियों से उठकर व्हाट्सऐप ग्रुपों और सोशल मीडिया की दीवारों पर भी धड़ल्ले से फैलने लगा है।
साहित्य की राजनीति में भी माखन लगाने के तो रायता फैलाने के काम आने लगा l
साइलेंट स्वभाव वाले इस रायते को इस तरह वायलेंट कर देना रायते की सनातनी विरासत के साथ खिलवाड़ करना नहीं है तो क्या है l

✍ लेखक, 📷 फ़ोटोग्राफ़र, 🩺 चिकित्सक
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रायता फेल गया