सकारात्मकता आत्म-उपहार

हम खिलाड़ी तो कच्चे हैं
मन से बिल्कुल बच्चे हैं!
पर हमारे पड़ोसी सच्चे हैं
कहते आप तो अच्छे हैं!
हमसे हर ओर उजाले हैं
क्योंकि हम दिलवाले हैं!
मुग्ध करती हमारे कला
चाहते करते सबका भला!
अपना नहीं कोई सानी है
हमारे दिल में दादी-नानी है!
मेहनत से ना घबराते हैं
हम निंदिया को सुलाते हैं!
कुदरत से रिश्ते नाते हैं!
ऊंचे पर्वत हमें बुलाते हैं!
लोगों को हम पर विश्वास
राजनीति नहीं हमारे पास!
मित्रता हमारी न्यारी है !
अपनी दुश्मन से भी यारी है!
प्रेम हमारा जीवन सार
प्रकृति से करते हैं प्यार!
दूसरों के काम आते हैं !
दिल नहीं दीप जलाते हैं!
चेहरे पर कोई चेहरा नहीं!
जो हैं, हम हूबहू हैं वही !
हमसे है लोकतंत्र की शान
योग्य पात्र को करते मतदान!
रखते नहीं अंधा स्वारथ
पढ़ते रामायण महाभारत!
सनातनी हैं संस्कारी हैं
हम प्रकाश के पुजारी हैं!
कभी कहीं ठोकर ना खाएं
चलो सावधान हो जाएं!
आवश्यक योग्यता लाएं
कदापि दावे झूठे ना हो पाएं!
अपनी प्रशंसा की भरमार
अनुपम यह आत्म-उपहार!
तुकबंदी भरे ये प्रिय उद्गार
सुखद लगें तो हो स्वीकार!!

Prahalad Shrimali

परिचय प्रहलाद श्रीमाली जन्मः 01.02.1956, चेन्नई शिक्षाः हाई स्कूल प्रकाशन…

परिचय प्रहलाद श्रीमाली जन्मः 01.02.1956, चेन्नई शिक्षाः हाई स्कूल प्रकाशन विषयक: साहित्यिक पत्रिकाओं, समाचार पत्रों में कहानियां, लघुकथाएं, व्यंग्य एवं कविताएं प्रकाशित। राजस्थानी व्यंग्य संग्रह ‘‘आवळ कावळ’’ 1992 में प्रकाशित एवं ‘‘मारवाडी सम्मेलन, मुम्बई’’ द्वारा पुरस्कृत। . कहानी ‘उत्तरहीन’ पर जनदर्शन संस्थान, भिलाई द्वारा शिक्षणार्थ लघु वीडियो फिल्म निर्मित। कहानी ‘‘कमलजी कहानी में कला नहीं घुसाते’’ 2002 को किताबघर प्रकाशन नई दिल्ली द्वारा ‘‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान’’ प्राप्त। उपन्यास ‘‘पापा मुस्कुराइए ना!’’ को 2010 का ‘‘आर्य स्मृति साहित्य सम्मान’’। कहानी संग्रह ‘‘अज्ञातवास में सिद्ध’’ ‘जनसुलभ’ पेपरबैक्स द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर आमंत्रित पाण्डुलिपियों में से चयनित व प्रकाशित (2011) नवभारत टाइम्स में मनोहर श्याम जोशी के व्यंग्य टिप्पणी स्तंभ ‘मेरा भारत महान’ में कई बार पुरस्कृत। व्यंग्य संग्रह ‘‘मोती जैसी घुन‘‘ ‘सदीनामा प्रकाशन‘ कोलकाता द्वारा प्रकाशित (2012) कहानी संग्रह ‘‘मुन्ना रो रहा है! ‘‘ ‘अमरसत्य प्रकाशन‘ (किताबघर प्रकाशन का उपक्रम) (2014) राजस्थानी कहानी ' महाभारत रा अजुआळा में ' को वर्ष 2015 का ' डॉ. नृसिंह राजपुरोहित स्मृति पुरस्कार '। लघुकथा ' जिंदगी की रफ्तार ' वर्ष 2019 में ' कथादेश अखिल भारतीय हिन्दी लघुकथा प्रतियोगिता -11' में पुरस्कृत।

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