हिंदी हैं हम हिंदोस्ता हमारा डॉ मुकेश 'असीमित' September 14, 2025 हिंदी लेख 0 Comments हिंदी दिवस कोई स्मृति-लेन नहीं, आत्मगौरव का वार्षिक एमओयू है—जिसमें हम तय करें कि अदालत, विज्ञान, स्टार्टअप और दफ्तर की फाइल तक हिंदी का सलीका… Spread the love
आखिर कब तक ढूढ़े मां-Poem Mamta Avadhiya September 5, 2025 हिंदी कविता 0 Comments यह रचना माँ के प्रति गहरी भावनाओं और स्मृतियों से भीगे रिश्ते का मार्मिक चित्रण है। इसमें माँ की गोद, आँचल और मुस्कान को याद… Spread the love
मै इंसान हूं-Poem Deepak Kumar September 5, 2025 हिंदी कविता 0 Comments यह कविता “इंसान” जीवन की जटिलताओं और सुंदरता का संवेदनशील चित्रण है। इसमें इंसान की खुशियों की तलाश, दुखों से जूझने की क्षमता, प्रेम और… Spread the love
मैने सीख लिया है जीना-कविता Vidya Dubey September 3, 2025 हिंदी कविता 2 Comments Life’s lessons carve resilience: smiling through pain, embracing wounds, and moving forward without complaint. This reflective piece captures the journey of learning to live with… Spread the love
चाँद हो या..कविता रचना Sanjaya Jain July 27, 2025 Hindi poems 3 Comments इस कविता में एक रात का भावचित्र है — जहाँ चाँद नहीं निकला, फिर भी कोई और “चाँद सा” मौजूद है जो सबका ध्यान खींच… Spread the love
एक पत्थर की कहानी -कविता रचना Vidya Dubey July 7, 2025 हिंदी कविता 1 Comment विद्या पोखरियाल की यह कविता “पत्थर हूं मैं” जीवन की विसंगतियों को एक प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती है। यह पत्थर कभी पूजित है,… Spread the love
मैं तेरे नाम से-कविता -हिंदी Vidya Dubey July 3, 2025 हिंदी कविता 2 Comments विद्या पोखरियाल की यह कविता एक माँ की गहन भावनाओं की अभिव्यक्ति है, जो अपने बच्चे के नाम से अपना अस्तित्व गढ़ना चाहती है। वह… Spread the love
मैं बच्चा हूँ, ट्रॉफी नहीं-कविता -डॉ मुकेश असीमित डॉ मुकेश 'असीमित' June 30, 2025 हिंदी कविता 1 Comment यह कविता एक बच्चे की अंतरात्मा की पुकार है—जो केवल अपने लिए जीना चाहता है, किसी की महत्वाकांक्षा की ट्रॉफी बनकर नहीं। वह अपने सपनों… Spread the love
क्या होती देशभक्ति?-कविता-बात-अपने-देश-की Dr Mahima Shreevasav June 30, 2025 हिंदी कविता 0 Comments देशभक्ति केवल नारों या गीतों में नहीं, बल्कि रोज़मर्रा के उन छोटे-छोटे कर्मों में छिपी होती है जो सादगी से, ईमानदारी से, कर्तव्य की भावना… Spread the love
जगाते है-कविता-बात अपने देश की Sanjaya Jain June 29, 2025 Poems 0 Comments यह आत्मपरिचयात्मक कविता एक लेखक के अंतरमन की झलक देती है — जहाँ लेखनी के गुण-दोष, धनहीनता में भी मन की समृद्धि, और समाज को… Spread the love