जूता पुराण : शो-टाइम से शू-टाइम तक डॉ मुकेश 'असीमित' October 11, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments इन दिनों जूते बोल रहे हैं — संसद से लेकर सेमिनार तक, हर मंच पर चप्पलें संवाद कर रही हैं। कभी प्रेमचंद के फटे जूतों… Spread the love