गरमा-गरम फुल्के की तलाश डॉ मुकेश 'असीमित' October 30, 2025 लघु कथा 0 Comments मध्यमवर्गीय घरों में शादी अब दहेज या कुंडली से नहीं, फुल्का-कला से तय होती है। बब्बन चाचा का सपना था — एक ऐसी बहू जो… Spread the love
आराम करो –आराम में ही राम बसा है-हास्य-व्यंग्य डॉ मुकेश 'असीमित' August 22, 2025 हास्य रचनाएं 3 Comments भागम-भाग की ज़िंदगी का असली गणित है—भाग को भाग दो, और उत्तर आएगा ‘आराम’। खाट पर लेटना, कम्बल में दुनिया की फिक्र लपेटना ही असली… Spread the love
पुरुष्कार का दर्शन शास्त्र डॉ मुकेश 'असीमित' May 13, 2025 व्यंग रचनाएं 0 Comments पुरस्कारों की चमक साहित्यकारों को अक्सर पितृसत्ता की टोपी पहना देती है। ये ‘गुप्त रोग’ बनकर छिपाया भी जाता है और पाया भी जाता है,… Spread the love